Saturday, May 23, 2009

स्टूडेंट लाइफ 2

थोड़ी देर के बाद बाहर के दरवाजे पर घंटी बजी और मैं उठकर दरवाजा खोल दिया.

बाहर नीता खड़ी थी.नीता अंदर आ गयी,मैने नीता से कहा की
आंटी सो रही है और घर की नौकरानी अपना काम ख़तम करके अपने घर चली गयी है.

घर मे कोई नही था इसलिए मुझे रुकना पड़ा.
फिर मैने मीता के बारे में पूछा तो नीता बोली, क्या वो घर पर नही है?

उसे तो बहुत पहले घर पर आ जाना चाहिए था कयूवकी वो तो हाफ डे बाद ही घर चली आई थी.

मैने कुछ नही कहा और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गया.
मेरा मूह और जीव अब बहुत दर्द कर रहा था.

मैं घर जाकर आंटी का नाम लेकर मूठ मारा और ढेर सारा पानी अपने लंड से निकालकर मैं अपने बिस्तेर पर सो गया.

शाम के करीब 7 बजे मैं अपनी किताब कॉपी लेकर आंटी के घर गया..
वहाँ नीता अंड मीता पहले से अपनी अपनी पढ़ाई में जुटे हुए थे और मैं भी जाकर उनके पास बैठकर पढ़ने लगा.

नीता मुझको देख करके मुस्कुराइ और फिर से पढ़ने लगी.
मीता मेरे तरफ देख कर एक शरारत भारी मुस्कान दिया और मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी.

मुझे कुछ समझ में नही आया और मैं उसकी तरफ देख कर सिर्फ़ मुस्कुरा दिया और अपनी पढ़ाई करने लगा.

थोरी देर बाद आंटी कमरे चार गिलास जूस लेकर आई और हुमलोगो ने एक एक गिलास जूस पिया.

मैं बिना झीजक के आंटी की तरफ देख रहा था और सोच रहा था की
आंटी आज दोफर के कार्यक्रम के बाद मुझे देखेंगी या मुस्कुराएँगी.

लेकिन आंटी के चेहरे पर कोई शिकन ना था.
आंटी ऐसे बर्ताब कर रही थी की जैसे आज दोपहर में कुछ भी नही हुआ है.

मुझे आंटी का बर्ताब बहुत बुरा लगा और मुझे कुछ कुछ गुस्सा भी आया.

मेरा गुस्सा मेरे चेहरे से भी झलक रहा था लेकिन आज आंटी मेरे पास नही बैठी और जाकर नीता के बगल में बैठकर नीता को पढ़ाने लगी.

मुझे बहुत परेशानी हो रही थी और मैं सबका चेहरा देखने लगा.
आंटी और नीता का चेहरा बिल्कुल सपाट था लेकिन मीता के चेहरे से शरारत झलक रही थी और वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

थोरी देर के बाद आंटी कमरे से चली गयी. पढ़ाई करते वक़्त,मीता मुझसे सवाल कर रही थी की आज दिन भर मैने क्या क्या किया.

मैं कुछ सॉफ सॉफ जवाब नही दे पाया और उठकर कमरे से बाहर चला गया.
मीता ने मुझसे कहा की कोई बात नही की और फिर उसने अपने दिन के बारे में बताया.

मीता ने मुझसे कहा की आज उसकी तबीयत कुछ खराब थी तो वो 2.00 बजे दोफर को घर वापस आ गयी थी.

मीता की बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया और मुझे कुछ नही
सुजाई दे रहा था.

मीता फिर बोली की घर पर 2.30 बजे तक थी और फिर वो कुछ समान खरीदने वो मार्केट चली गयी थी.

मेरे दिमाग़ मे अब यह बात घूम रही थी की मीता को मालूम है की मैं घर पर दोपहर में था और मैने क्या क्या किया.

है भगवान, आंटी इस समय कमरे में नही है नही तो आंटी को पता
चल जाता की उनकी लड़की ने हुमारे दोफर के कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता है.

मीता हुम्से दिन भर की बातें कर रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा
रही थी,अपने होंठ दाँतों से दबा रही थी और अपनी चूत को स्कर्ट
के उपर से सहला रही थी.

मुझे कुछ सुजाई नही दे रहा था और मैं बार बार कोशिश कर रहा था की मीता अपनी बातों को बंद करे और हम अपनी अपनी पढ़ाई
करे,लेकिन मीता बोले जा रही थी.

नीता को हुमलोगो की बाते कुछ समझ में नही आ रही थी और वो चुप चाप अपनी पढ़ाई कर रही थी.

थोरी देर में आंटी कमरे में आई और तब मीता एक-आ-एक अपनी बातों की टॉपिक बदल दिया और हुमसे पढ़ाई की बाते करने लगी.

आंटी ने हुमको और मीता को डांटा और बोली बाते बंद करके अपनी अपनी पढ़ाई करो.
करीब 9.30 बजे को मैं अपनी कॉपी किताब उठा कर अपने घर के लिए चलने लगा.

आंटी ने तब मुझे बताया की आज रात को भी हुमारे घर पर आ जाना
तब और ज़्यादा पढ़ाई कर सकते हो और तुम्हारे अंकल भी घर पर नही है.

मैने सर हिला करके हा कहा और कनखेओं से मीता को देखने लगा. मीता दबी ज़बान से मुस्कुरा रही थी और मुझे देख रही थी.

मैं करीब 10.15 बजे रात फिर से अपने घर से आंटी के घर पर वापस आ गया और फिर से हम तीनो अपने अपने पढ़ाई करने लगे.

रात के 12 बजे हम सुबने अपनी अपनी पढ़ाई बंद करके सोने के बिस्तेर पर चले गये.

आज फिर से आंटी मेरे बगल मे लेट गयी और मीता और नीता आंटी के बगल में लेट गयी. मीता ठीक आंटी के बगल मे लेटी थी और नीता लेटी थी मीता के बगल में.

सोने के 15 मिनिट्स के बाद आंटी की नाक बजने लगे और मुझे लगा की आंटी मुझे बताना चाहती है की अब सो रही है या सोने का बहाना कर रही है.

मैं उठकर बैठ गया और अंधेरे में देखने लगा की मीता और नीता सो गयी या नही.

दोनो लड़किया सो रही थी लेकिन मुझे मीता के बारे में चिंता थी की वो भी सोने का नाटक कर रही है.

मैं बैठे बैठे ही अपना एक हाथ आंटी की नाइटी के अंदर डाल दिया और नाइटी को उपर उठाने लगा.

मैं धीरे धीरे आंटी की जांघों को सहलाने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे औपर ले जाने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपना कमर उठा रही थी और उनके मूह से तरह तरह की आवाज़ भी निकल भी रही थी.

मैं आंटी के पावं को थोड़ा सा और फैला दिया और उनकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी.

आंटी की चूत अब बहुत गीली हो गयी थी और उसमे से चिप चिपा रस निकल रहा था.
मैं उनकी चूत में अब दूसरी और फिर तीसरी उंगली भी डाल दी और अपना हाथ हिला हिला कर उनकी चूत को अपनी उंगलियो से चोदने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपनी कमर ऐसे उठा रही थी की जैसे मैं सचमुच उनको चोद रहा हूँ.

मैं इस समय आंटी के पैरों के बीच बैठा था और उनकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.

एक-आ-एक कोई दूसरा पैर मेरे पैरों से टकराने लगा.

मैं घूमकर देखा तो वो पैर मीता का था..मीता अपनी जगह पर चित लेती थी और उसके हाथ उसके चुचियों पर था जिनको वो कसकर दबा रही थी.
मैं मीता को देखते ही समझ गया की मीता अभी सोई नही है और सिर्फ़ सोने का बहाना बना रही है और मेरे और आंटी के सारे कार्यक्रम देख रही है और मज़े ले रही है.

मैं आंटी की चूत को अपने दाहिने हाथ की उंगली से चोद रहा था और अब मैं अपनी बाईं हाथ को मीता के तरफ बढ़ाया और मीता के पैर को छुआ,लेकिन मीता सोती रही. मैने मीता की नाइटी को तोड़ा उपर उठाया और उसके जांघों को भी सहलाने लगा.

मुझे मेरी तकदीर पर विश्वास नही हो रहा था,मैं एक साथ आंटी और उनकी बेटी के सेक्सी शरीर के साथ खेल रहा हूँ और दोनो मा बेटी भी तैयार है.

मैने अपनी बैठने का पोज़िशन को थोड़ा बदला और मैं अब दोनो मा और बेटी के बीच बैठ गया.

अब मैने अपना एक हाथ आंटी के चूत पर से हटाकर आंटी की चुचियो पर ले गया.

जैसा की मैने सोचा था,आंटी अपनी नाइटी के नीचे कोई ब्रा नही पहनी थी.
मैने आंटी की नाइटी के सारे बटन को खोल दिया और बटन खुलते ही आंटी के दोनो गोल गोल सुनहरी सुंदर चुचिया मेरे सामने नंगी हो गयी.

मैने आंटी की दोनो चुचिया अपने हाथ से बारी बारी दबाने लगा
और उनके निपल को अपने उंगलियों में दबाकर मरोड़ने लगा.

मैं दूसरे हाथ से मीता की जाँघ को भी सहलाने लगा.
धीरे धीरे मैं अपना हाथ मीता की चूत के पास ले गया.

मीता अपनी नाइटी के नीचे पॅंटी पहन रखी थी. मैने धीरे से अपना हाथ मीता के पॅंटी के बगल से अंदर किया और मीता की चूत को छुआ.

मीता की चूत पर हल्के हल्के रेशमी बॉल थे और चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था.
मीता की चूत अपने मा की चूत से ज़्यादा गरम थी.

मैने अपने एक हाथ से मीता की पॅंटी उतरनी चाही और मेरा मतलब समझ कर मीता ने अपनी कमर उठा कर मुझे मदद करने लगी.

मैंने तब मीता की पॅंटी उतार दिया और अब दोनो मा और बेटी अपनी अपनी कमर के नीचे से नंगी थी और दोनो की चूत से रस निकल रहा था.

मैं सोच रहा था की मैं आंटी की चुचि और चूत पर अपना हाथ और मीता की चुचि और चूत पर लेकर उनसे खेलूँ लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था कयौकी तब आंटी मुझे और मीता का पकर सकती है.

इसलिए मैने आंटी की चुचि को दबाते हुए अपना मूह मीता के चेहरे के पास ले गया और मीता के गाल और होंठ पर चुम्मा देने लगा.

मीता भी मेरे चेहरे को अपने हाथों से पाकर कर चूमने लगी लेकिन अपनी मा की तरह उसकी आँखे अभी तक बंद थी.
अब मेरा एक हाथ आंटी की चूत पर था और दूसरा हाथ मीता की चूत पर था.

मैं मीता के होंठो को कई बार चूमा और अपना एक हाथ से मीता की चुचि को दबाने लगा.

मीता अपनी नाइटी के नीचे ब्रा पहने हुए थी और इसलिए मुझे मीता की चुचि को नंगा करते नही बन रहा था.
मैं कोशिश कर रहा था मेरा हाथ ब्रा के अंदर घुस जाए लेकिन ब्रा टाइट था और मेरा हाथ नही घुस रहा था.

मीता करवट लेकर मेरे तरफ अपनी पीठ कर दिया और मैने ब्रा की हुक
को खोल दिया.
अब मीता की चुचि नंगी हो गयी और अब मैं एक हाथ से आंटी की चुचि और दूसरे हाथ से मीत की चुचि को दबा रहा था.

मैं धीरे से मीता के और करीब खिसक गया और इशारा से मीता से कहा की मुझे अब उसके पास से हटना पड़ेगा और बाद में वो जब भी चाहेगी कर दूँगा,कयूवकी अब मुझे आंटी के पास जाना पड़ेगा.

इतना इशारा करके मैं धीरे से आंटी के नज़दीक चला आया और अपने दोनो हाथों से आंटी की दोनो चुचिया मसालने लगा.

अब मैने अपना सारा ध्यान आंटी पर देने लगा.
आंटी अब भी अपनी आँख बंद करके सोने का नाटक कर रही थी और उनको मेरे मीता के बीच चल रहे कार्यकलाप का कोई अंदाज़ा नही था.

मैने आंटी के नाइटी के सारे बटन खोल दिए और अब मेरे सामने करीब करीब बिल्कुल नंगी थी.
सिर्फ़ उनके पेट के उपर उनका नाइटी पड़ा हुआ था.

मैं अब धीरे से आंटी के नाइटी को उपर करना शुरू कर दिया और
आंटी थोड़ा झीजक कर अपने चूटर उठा दिया और मैं उनकी नाइटी को उनके सर से निकल कर बगल में रख दी.

अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल से नंगी थी और मैं उनके भरे भरे बदन से खेल रहा था.
आंटी की आँखे अब भी बंद थी और सोने का बहाना बना रही थी.

मैं आंटी के भरे भरे सुंदर और सेक्सी जिस्म को उपर से नीचे तक चाटना शुरू किया और एक हाथ से मीता को हल्का धक्का दिया और इशारा किया की वो मेरे और उसकी मा के क्रियाकलाप को देखे.

मीता ने जैसे ही अपनी आँख को खोला तो वो सन्न रह गयी क्योंकि उसकी मा बिकुल नंगी थी.
मीता को पता था मैं और आंटी क्या क्या गुल खिलाते है लेकिन उसको इतना सबका अंदाज़ा नही था.
मीता ने अब मेरे तरफ देखा और मुस्कुरा दी और फिर से अपना सर तकिये पर रख कर सो गयी,लेकिन अपनी आँख को खोले रखी.

अब मैं आंटी की चूत को चट रहा था और उनकी चूत से रस लगातार निकल रहा था.

उनकी चूत से इतना रस निकल रहा था की उनकी जंघे भीग रही थी.मैं बहुत मन लगा कर आंटी की चूत को चट रहा था और आंटी अपने पैरों को फैला कर और अपनी चूटर को उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवा रही थी.

आंटी पहली बार अपने हाथों से मेरा सर पाकर कर मेरा मूह अपनी चूत पर दबा रही थी और अपनी कमर उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी...
आंटी बहुत हिल रही थी और बार बार अपनी कमर उचका रही थी.
मैं समझ गया की आंटी अब अपनी चूत का पानी निकालने वाली है.
मैं बहुत चाब से आंटी की चूत को चट रहा था और चूस रहा था और थोड़ी देर के बाद आंटी झार गयी.

मैं आंटी की चूत से निकला हुआ सारा का सारा पानी चट चट कर पी लिया और फिर अपना ब्रीफ धीरे से नीचे किया.
ब्रेइफ नीचे करते ही मेरा लंड उछाल कर बाहर आ गया और अब वो आंटी की चूत मे घुस कर आंटी की चुदाई करना चाह रहा था.

मैं थोड़ा आंटी के उपर झुक गया और अपना लॉडा आंटी की चूत के
बराबर ले आया.
फिर मैं धीरे से अपना लॉडा आंटी की चूत के च्छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड आंटी की चूत में समा गया.

मैं फिर से अपनी कमर हल्की सी उठाकर और अपना लंड थोड़ा सा निकल कर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.
अब मेरा लंड पूरा का पूरा आंटी की चूत में घुसा हुआ था और मेरा और आंटी की झांते एक दूसरे में मिल गयी थी.

आंटी की चूत अंदर से बहुत गरम थी और फरफारा रही थी. आंटी अपनी चूत से लंड को चूस रही थी.
मैं अब आंटी को धीरे धीरे धक्का मारकर चोदना शुरू किया.

जैसे मैं आंटी की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, आंटी की चूत से पच पच की आवाज़ निकलना शुरू हो गया.
आंटी मुझको अपने आपसे कसकर चिपका रखा था और अपनी आँखे अभी तक बंद कर रखी थी, लेकिन अपने अंगो से मुझे चुदाई मे हेल्प कर रही थी.

मैं अपने आपको धीरे से आंटी के शिकंजे से छुड़ाया और फिर से उनको चोदना चालू किया.
जैसे ही मैने आंटी की चुदाई शुरू किया उनकी चूत फिर से आवाज़ करने लग गयी.
मैं अपना सर घूमकर मीता को देखा,वो बारे गौर से हुमारी चुदाई देख रही थी और हंस रही थी.

मैं अब धीरे धीरे अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ाना चालू की और
आंटी भी अपनी चूटर उठा उठाकर मेरे हर धक्को का जवाब दे रही थी.
मैं आंटी को करीब 15 मिनिट तक जोरदार धक्को के साथ चोद्ता रहा और बीच बीच में उनकी चुचियो को मसलता रहा और चूस्ता रहा.

ठोदि देर बाद में मैं झार गया और अपने लंड के फ़ौवारे से आंटी की चूत को भर दिया.
आंटी भी मेरे झरने के साथ साथ झार गयी और मुझे अपने आपसे कस कर चिपका लिया.

आंटी इतना कस कर मुझे जाकर लिया था की मेरे पीठ पर उनके नाख़ून का निशान बन गये थे.
मैं झरने के बाद आंटी के उपर ही लेट गया और हफने लगा.
और थोरी देर के आंटी को फिर से चूमने लगा.
आंटी भी मेरे चुंबनो का जवाब चुंबन से दे रही थी.

अब पहली बार आंटी ने अपनी आँखे खोल कर मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
आंटी की आँखों में चुदाई की तृप्टी का सच झलक रहा था.
आंटी मेरे चुदाई से बहुत ही तृप्त थी.

आंटी ने मुझे फिर से चूमा और अपना सर घुमा कर अपनी लड़कियों को देखा.
दोनो लड़कियाँ गहरी नींद में सो रही थी..
अपनी लड़कियों को सोते देखकर आंटी फिर से मुस्कुरा दी और मुझे चूमने लगी.

आंटी अब अपनी जगह पर उठकर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मूह में भर कर चूसने लगी और चाटने लगी.
चट चट कर आंटी ने मेरा लंड को बिल्कुल से सॉफ कर दिया.
मीता कनखियों से अपनी मा को मेरे लंड चुस्ती देख रही थी.

मैने अपना हाथ मीता के तरफ बढ़ाया और उसकी चुचियों को मसलना चालू कर दिया.
मीता मेरे हाथ को अपने हाथ से पाकारकर अपनी नाइटी के अंदर कर
दिया.
मैं समझ गया की मीता अपनी चूत पर मेरे हाथ को चाहती है. मैने मीता की चूत को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया.

मीता की चूत बिल्कुल गीली थी और उसकी जंघे भी भीग गयी थी.
मैं मीता की चूत को भीगा देखकर समझ गया की मीता अपनी मा और मेरे चुदाई देख देख कर गरमा गयी है और अब वो भी चुदवाना चाहती है.

आंटी की लंड चुसाइ से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था और थोड़ी देर में वो फिर अकड़कर खरा हो गया.
अब आंटी अपने जगह से उठ गयी और मुझे भी अपने साथ दूसरे कमरे में चलने को कहा.

मैं भी उठकर आंटी के पीछे पीछे दूसरे कमरे में गया.
दूसरे कमरे में जाकर आंटी और मैं एक सोफे पर बैठ गये.
सोफे पर बैठने के बाद आंटी ने मुझे अपनी बाहों में भर कर चूमना
शुरू कर दिया.

मैं भी आंटी को चूमने लगा.
आंटी मेरे मूह में अपनी जीव घुसेड दी और मैं उसको बारे प्यार से चूसने लगा.
हुमलोगों की यह चुम्मा चुम्मि कुछ देर तक चलता रहा.
फिर आंटी अपना हाथ से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी और फिर उठ उसको बारे गौर से देखने लगी.

थोरी देर तक मेरे लंड को देखने के बाद आंटी मुझसे बोली की तुम्हारा लंड बहुत ही प्यारा है और यह लंड तुम्हारे उमर के हिसाब से ज़्यादा बड़ा है.
फिर आंटी मुझसे बोली की अब मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में डॉगी स्टाइल में लेना चाहती हूँ.

तुम अब मेरी चूत में पीछे से लंड डालकर दम लगाकर चोदो.
इतना कह कर आंटी सोफे पर झुक गयी और उनकी चूत मेरे लिए पीछे से झकने लगी.
मैं उठ कर आंटी के पीछे चला गया और मेरे लंड को अपने हाथों से पाकर कर उनकी चूत पर लगा दिया.

जैसे ही मेरा लंड आंटी की चूत के च्छेद पर लगा आंटी ने अपनी कमर
हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत में भर लिया.
मैने भी तब आंटी की कमर पाकर कर आंटी को पीछे से चोदने लगा.

चोदते चोद्ते मैंने अपना हाथ और बढ़ाकर आंटी की चुचित्यों को भी मसलना शुरू कर दिया.
आंटी मारे खुशी के बहुत ज़ोर ज़ोर बार्बरा रही थी और अपनी कमर चला रही थी.
मैं आंटी को अबकी बार करीब 25 मिनूट तक चोदा.

चोदते वक़्त मैं अपने धक्के की रफ्तेर बार बार बदल रहा था और कभी कभी अपना लंड आंटी की चूत में जर तक घुसेड कर अपनी कमर घुमा घुमा कर उनकी चूत को चोद रहा था...थोड़ी देर मैं ही आंटी झाड़ गयी मैं भी झदाने के कगार पे था मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और अपना सारा वीरया उनकी चूत मैं डाल दिया

आंटी के चेहरे पर संत्ुस्ती भाव थे वैसे भी उनकी चूत ने आज दो बार मलाई खाई थी आंटी वहीं सो गयी मैं दुबारा उपर जाकर मीता की बगल मैं लेट गया मैने मीता नाइटी को उपर उठा दिया ओर मीता की ठोस चुचियों को अपने दोनो हाथों से मसलने लगा मीता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी उसकी चूत लॅंड माँग रही थी लॅंड की याद मैं आँसू बहा रही थी

मैने मीता की चूत मैं अपनी एक उंगली घुसा दी मीता उछल पड़ी क्योंकि मीता की चूत बहुत टाइट थी अब मैने एक हाथ से मीता की ठोस चुचियों को दबाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा मीता सिसकारी ले रही थी उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था मैने मीता के चूटरों के नीचे तकिया लगा दिया ओर अपना लंड चूत के मुँह पर लगा दिया चूत ने अपने होंठ फैला दिए जैसे वह लंड का चुंबन पाने के लिए काबसे बेकरार थी मैने अपने लॅंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और थोड़ा सा थूक चूत पर भी लगा दिया
मैने अपने लंड का दबाब मीता की चूत पर डाल दिया लंड चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा मीता दर्द की वजह से कराहने लगी मुझे डर था कहीं नीता ना जाग जाय मैने मीता के होंठो अपने होंठो मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया और एक जोरदार धक्का मारा मेरा लंड मीता की चूत मैं गहराई घुस चुका था मीता छटपटाने लगी मैं थोड़ी देर शांत हो गया और उसकी चुचियो को सहलाने लगा कुछ देर मैं ही मीता का दर्द कम हो गया अब मैने दे दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिया मीता की चुदाई मैं ऐसा मज़ा आया मैं आज भी उस चुदाई को याद करता हूँ तो मन रोमांच से भर जाता है मीता आह ओह सिसकारियाँ भरने लगी उस रात हमने दो बार और चुदाई की इस तरह से मैने मा बेटियों की चुदाई की

2 comments:

Unknown said...

bhen ke lode bahut ras piya hai tune.madarchod kahani banana band kar chutad.tera ghar nahi tha kya jo roj unke ghar ras pene pauch jata tha.gandmare casanova samjata hai apne apko.lodu behen ke dene.

Unknown said...

JO TUME KIYA ACCHA HI KIYA...... AAPNI BHI PYAAS BHI AUR UN MAA BETI KI PIYAAS BHUJAKAR UNHE SHAANT KIYA AUR ENJOY KARNA AUR KARVANA YEH TO HAI VASNA KI PURTI JO JANWAR BHI KAR LETE HAI.....
PAR AGAR DEKHA JAYE TO YEH INSANYAT NAHI HAI JIS THAALI ME KHAYA USI ME CHHED KIYA TUMEH PEHLE KUCH SOCHNA CHAHIYE THA.....AGAR TUMNE MITA K SHAADI KI HAI TO THEEK HAI..... HAMESHA ACHHEY KARAM HI KARNE CHAHIYE....