Saturday, May 23, 2009

स्टूडेंट लाइफ 1

मेरे ख़याल में स्टूडेंट लाइफ ही सबसे अच्छी लाइफ होती है.
अब तो स्टूडेंट लाइफ ख़तम हो गयी है और बस सिर्फ़ यादें ही यादें है.


हुमारे स्टूडेंट जिंदगी में कई सुनहरे अवसर आए थे और आज मैं आपको एक ऐसे ही सुनहरे अवसर की कहानी बताने जा रहा हूँ. उन दीनो मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उमर करीब 19 साल की थी.


मेरे 19 साल के दरमियाँ मैं कई बार सेक्स का आनंद ले चुका था,लेकिन मैं फिर भी मुझको चुदाई मे एक्सपर्ट नही कहा सकता था.
हुमारे परोस मे एक फॅमिली रहती थी.


उस फॅमिली में चार मेंबर थे, मा,बाप और उनके दो लड़किया.
दोनो लड़किया बहुत ही सुंदर थी और मुझको दोनो बहुत ही सेक्सी लगती थी.


उन दोनो लड़कियो में से एक की उमर करीब मेरे बराबर थी और वो मेरे क्लास में ही पढ़ती थी,और छोटी वाली की उमर करीब 18 थी और वो 11 क्लास में पढ़ती थी.

बड़ी बहन का नाम मीटा था और छ्होटी बहन का नाम नीता था.

दोनो बहने अपने मा की तरह सुंदर और सुंदर थी.

उन दीनो मैं पढ़ाई में थोड़ा ढीला था, और परोस की महिला बहुत ही सुंदर,
स्मार्ट और पढ़ी लिखी थी.


मैं अक्सर अपने पड़ोसी के घर जाकर अपनी पढ़ाई किया करता था.
मुझको परोस की आंटी बहुत प्यार से पढ़ाया करती थी और कभी भी मुझे समझाने में बुरा नही मनती थी.


जन्वरी का महीना आ चुक्का था और हुमारे एग्ज़ॅमिनेशन के लिए अब सिर्फ़ तीन
चार महीने बचे थे.

मैने अपने एग्ज़ॅमिनेशन के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.

मेरे परोस की आंटी मेरे पढ़ाई के लगन से बहुत खुश थी और मुझको मन
लगा कर पढ़ाती थी.

मिटा मेरे क्लास मे ही पढ़ती थी और इसलिए आंटी हम दोनों को एक रोज़ करीब 3-4 घंटे साथ साथ पढ़ाती थी.

कभी नीता भी हुमारे साथ साथ पढ़ने बैठती थी.

आंटी बहुत ही अच्छी थी और अपनी बेटी के साथ साथ मुझको भी बहुत मन
लगा कर पढ़ाती थी और मुझे अपने घर का सदस्या मानती थी.


मेरे अंदर अपने आंटी या उनकी बेटी के तरफ कोई सेक्स की भावना नही थी.
मैं उनके घर का ही एक सदस्या था.उनका घर कोई बहुत बड़ा नही था.
सिर्फ़ एक कमरा,किचन और एक हॉल था.


अक्सर हुमलोग बेडरूम मे पलंग पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे.
आंटी हुमेशा मुझको अपने पास ही बैठाती थी और मैं हमेशा आंटी से सवाल किया करता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में कुछ ढीला था.


मिटा और नीता मुझको इस बात को लेकर अक्सर चिढ़ती थी लेकिन मैं जब भी कुछ
मदद माँगता तो दोनो बहने कभी ना नही करती थी.


जैसे की हुमलोग साथ साथ पलंग पर पैर मोड़ कर बैठकर एक दूसरे के बगल में पढ़ते थे, मैं जब भी कुछ पूछता तो आंटी झट किताब उठा कर अपने
गोद मे ले लेती थी और मुझे समझाती थी.


आंटी जब भी किताब अपनी गोद में लेती थी मेरा हाथ भी साथ साथ
आंटी के गोद मे चला जाता था और मेरे हाथ उनकी जाँघो के अंदर से चूत के
पास छू जाता था.


मुझे अपने हाथ में आंटी की चूत की गर्मी महसूस हो जाती थी.
आप विश्वास करो या ना करो, आंटी की चूत से बहुत गर्मी निकलती थी और वो गर्मी मुझे किसी रूम हीटर से ज़्यादा महसूस होती थी.


आंटी बहुत ही गोरी थी और हमेशा घर में वो स्लीव्ले कमीज़ और सलवार
बिना दुपट्टा के पहनती थी.


आंटी की चुचियो का साइज़ अच्छा था और बहुत गोल गोल थी,
लेकिन थोरा सा लटका हुआ था सायड अंकल कुछ ज़्यादा ही आंटी की चुचियो से खेलते थे.


पढ़ते वक़्त कभी कभी मेरा हाथ या कोहनी आंटी की चुचियो से छू जाती थी.
उनकी चुचिया बहुत ही मुलायम थी और मेरे हाथ या कोहनी च्छुने से आंटी
कभी भी बुरा नही मानती थी,बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती थी.


मैं भी इन बातों का ज़्यादा ध्यान नही देता था क्योंकि मेरे मन में तब कोई पाप नही था और मैं सोचता था शायद आंटी भी कुछ नही मानती.


कभी कभी आंटी पीछे से झुककर मैं क्या सवाल कर रहा हूँ देखती और उस
वक़्त उनकी चूंचिया मेरे कंधो पर चुभती थी.


आंटी इन सब हर्कतो को उनकी बेटियाँ भी देखती थी और मुस्कुरा मुस्कुरा कर हँसती थी.
मेरे मन में फिर भी कोई पाप नही था.

अक्सर मैं उनके घर पर रात को पढ़ते पढ़ते रुक जाया करता था.

उन दीनो हम सभी साथ साथ सो जाते थे और मैं अपने अंकल के पास सोता
था.

ऐसे ही एक वक़्त में जब अंकल कोई काम से बाहर गये हुए थे तो आंटी मेरे बगल मे लेट गयी.

रात तो सोते वक़्त उनका चेहरा मेरी तरफ था और मेरा उनकी तरफ.

मैने देखा की आंटी के गाउन के उपर के दोनो बॅटन खुले है और मुझे उनकी दोनो चुचियों के बीच की गहराई सॉफ सॉफ दिख रही थी.


आंटी उस समय काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उनके बीच उनकी गोरी गोरी चुचियाँ चमक रही थी.

मैं आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसो दूर थी.

मैं फिर जब अपनी आँखों को खोला तो देखा की आंटी मेरे और पास आ गयी
है और उनके गाउन का एक बटन और खोला हुआ है.

आंटी मेरे इतने पास आ गयी थी की मेरी गरम गरम साँस उनकी चुचि पर गिर रही थी.

ये सब देख कर मैं गरम हो गया और सोचा की क्यों ना कुछ मज़े लिया जाए.

मैने अपना सर तकिया से थोड़ा नीचे किया और अब मेरा मूह आंटी के बड़ी बड़ी
चुचियों के ठीक सामने था.


मेरी नाक आंटी की दोनो चुचियों के बीच वाली खाई के सामने था.
मैं अपनी जीव से आंटी की एक चुचि को हल्के से चाटा,लेकिन आंटी चुप चाप थी.

थोड़ी देर के बाद मुझे आंटी के बगल में सो रही उनकी एक लड़की को नींद में
करवट बदलते देखा और सर उठा कर देखा की वो लड़की आंटी से और सटकार
सो रही है.
मुझे कुछ अचंभा सा हुआ और मैं उल्टी तरफ मूह घुमा कर आंटी की तरफ पीठ करके सो गया.
मैं अपने पीछे फिर से किसी को करवट बदलने की आवाज़ सुना,लेकिन हिम्मत करके घूमकर देखा नही.

थोरी देर के बाद आंटी की नाक बजने लगी.
थोड़ी देर के बाद मैने अपना चेहरा फिर से आंटी के तरफ घुमाया और मुझको
बहुत करारा झटका लगा.

हुमने पहले जो आवाज़े सुनी थी वो आंटी की थी.
मेरे पीछे आंटी बिस्तर से उठकर बैठकर फिर से सो गयी थी.
आंटी ने अब अपनी ब्रा उतार दिया था और उनकी नाइटी के उपरवाले दो बटन खुले हुए थे.

मुझे उनके खुले बटनो के बीच से आंटी की गोल गोल चुचिया दिख रही थी और मुझे लगा की वो सुंदर सुंदर चुचि मुझे बुला रही है.
मुझे लगा की आंटी अब मुझे कुछ इशारा कर रही है और हो सकता है की आंटी को अब वही चाहिए जो मुझको चाहिए.

मैं धीरे से आंटी के नाइटी का तीसरा और चौथा बटन भी खोल दिया और उनकी नाइटी को उनकी चुचि पर से हटा दिया.

नाइटी हटते ही आंटी की दूधिया चुचिया एक दम से बाहर निकल पड़ी.
अब मैं उनकी चुचि को खूब तबीयत से देखा.

उनकी चुचियो के निपल इस समय बिल्कुल तने हुए थे.
निपल के चारो तरफ उनका आरियोल दिख रहा था,जो की बिल्कुल गुलाबी रंग का
था.

मैं धीरे से उनके पास सरक गया और अपनी जीव से आंटी के सिर्फ़ आरियोल के
चारो तरफ चाटने लगा,लेकिन उनकी चुचि को मूह में नही लिया.

मैं करीब पाँच मिनिट्स तक आंटी के चुचि के आरियोल को चॅटा और हाथ से उनकी दूसरी चुचि को सहलाना शुरू किया.
मैं आंटी की दूसरी चुचि के आरियोल के चारो तरफ भी अपना उंगली चला रहा था.

आंटी मेरे तरह और थोड़ा सा खिसक गयी और मेरे मूह के सामने अपना दूसरी चुचि कर दिया.

अब मैं आंटी की बाईं चुचि पर अपना जीव चला रहा था और दाईं चुचि को अपने हाथों से सहला रहा था.

चुचि चटाई करीब 15 मिनिट तक चलती रही और फिर उसके बाद मैं बारी बारी से आंटी की दोनो चुचिया अपने मूह में भरकर चूसना शुरू कर दिया.

अब मेरी आँखों से नीड रफू-चक्कर हो गयी थी और मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर बिल्कुल तन गया था और बाहर आने के लिए ज़ोर लगा रहा था.


मैं अपने हाथ और मूह से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अब मैं धीरे से अपना पैर आंटी के चादर के अंदर कर दिया और पैरों से आंटी की नाइटी को धीरे धीरे उठाने लगा.


जैसे जैसे मैं अपने पैरों से आंटी की नाइटी को उपर उठा रहा था,
मुझे अपने पैरों से आंटी का जिस्म छूता रहा.


धीरे धीरे मैं आंटी के घुटने तक उनकी नाइटी को उठा दिया.
अब मैं अपना हाथ नीचे करके आंटी के पैरों को छुआ और सहलाने लगा.

आंटी के पैर बहुत मुलायम और चिकना था.

घुटने से मैं अपने हाथों को धीरे धीरे उपर करने लगा.
आंटी के जंघे बहुत चिकना और मजबूत था.

जैसे जैसे मेरा हाथ उपेर जा रहा था, मुझे आंटी की चूत की गर्मी का
एहसास होने लगा,लेकिन मैं फिर भी उनकी चूत पर अपना हाथ नही ले गया.


मैने अपना हाथ और थोडा उपर ले गया और हाथों से आंटी की झांतों के
बाल का स्पर्श हो गया.
मैं समझ गया की अब मैं आंटी की चूत के बहुत ही करीब हूँ.

मैं धीरे से अपने हाथ को और थोड़ा उपर ले गया और मेरे हाथों से आंटी
की पुर झांतों भारि चूत का स्पर्स हुआ.


मैं आंटी की झांतों को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद मैं उनकी चूत की च्छेद को ढूंडना शुरू किया.
मुझे आंटी की चूत पर ढेर सारा चिप चिपा रस लगा मिला.

अब आंटी मेरे और पास खिसक आई और अपना एक पैर को मेरे पैरो के उपर कर
लिया जिससे की मैं उनकी चूत से ठीक तरफ से खेल साकु.


मैने धीरे से अपनी एक उंगली आंटी की चूत के च्छेद मे घुसेड दी और उस समय उनकी चूत इतनी गीली थी की मेरी उंगली बरी आसानी से चूत के अंदर घुस गयी.
मैं ढेरे ढेरे से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा.

मैं अब अपनी दूसरी उंगली आंटी की चूत के अंदर घुसेड दी और मुझे लगा की अभी भी आंटी की चूत मे जगह है और इसलिए मैने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में डाल दिया.


अब मैं अपनी तीनो उंगलियो से आंटी की चूत को चोदना चालू कर दिया.
थोड़ी देर के बाद मेरी उंगली और हाथ चूत के पानी से भीग गया.

मैं अपने दूसरे हाथ से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अपने मूह से उनको चूस रहा था.

करीब आधे घंटे तक मैं अपनी उंगलियों से आंटी की चूत को चोद्ता रहा और
फिर मैं थक गया और अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डालकर थोड़ा सा
सुसताने लगा लेकिन पता नही कब मेरी आँख लग गयी और मैं सो गया.


जब सुबह मेरी आँख खुली तो सुबह के 4 बजे थे और आंटी मेरे बगल में नही थी.
मेरे बगल में अब मिटा सो रही थी.

मैं आज पहली बार मिटा को गौर से देखा तो पाया की मिटा बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है.
मैं अपने हाथों को सूँघा और उसमे से आंटी की चूत की खुसबू आ रही थी.

तब मैं अपनी उंगलियों को चटा, वा आंटी की चूत का स्वाद भी मीठा है.

मैने अपनी नज़र घुमा कर नीता और आंटी को ढूनदा लेकिन वो दिखलाई नही दिए.
फिर मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं समझ गया की आंटी और नीता बाथरूम में है.


मैं मीता के पास खिसक गया और उसके होंठों पर हल्का चुम्मा दिया.
लेकिन मीता सो रही थी और इसलिए उसके तरफ से कोई जवाब नही मिला.


मैं फिर अपना हाथ धीरे से मिटा की जवान चुचियो पर रखा और हल्के से दबाया.

तभी मैने नीता को बाथरूम से निकलते देखा और जैल्दी से मीता के पास से हट गया..

मुझे आज नीता भी खूबसूरत लग रही थी. मैने नीता से आंटी के बारे में पूछा तो नीता ने बताया की आंटी दूध लेने गयी है.
मैं नीता से बाइ किया और अपने घर वापस चला गया.
मैं अपने कॉलेज से करीब 12 बजे दोपहर तक वापिस आ गया और सीधे आंटी के घर पर चला आया.

घर में मीता और नीता नही थी और उनकी नौकरानी घर की सफाई कर रही थी.
जैसे ही आंटी की नौकरानी मे मुझे देखा, वो बोली घर मे लरकियाँ नही है दोनो स्कूल गयी है और मालकिन अपने कमरे मे सो
रही है.

मैने कहा ठीक है और बेडरूम मे झाँक कर देखा.
बेडरूम मे आंटी अपने बिस्तेर पर गहरी नींद में सो रही थी और उनकी नाक हल्के हल्के बज रही थी.

आंटी भी कल मेरे साथ साथ नही सोई थी.
मैं भी कल रात नही सोया था और मुझे भी थकान लग रही थी और मैं सोच रहा था की अब मुझको अपने घर वापस जाना परेगा.

मैं जब घर जाने के लिए मुड़ा तो नौकरानी बोली की उसका काम ख़तम हो गया है लेकिन मालकिन सो रही है,अब मैं क्या करूँ?
क्या मैं मालकिन के जागने तक इंतेजर करूँ?

मैं तब नौकरानी से बोला, ठीक है तुम जाओ और मैं आंटी के जागने के बाद बता दूँगा.

नौकरानी चली गयी और मैने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.
नौकरानी मेरे कहने से चली गयी.

अब घर में सिर्फ़ मैं और आंटी थी और आंटी सो रही थी.
मैं आंटी के पास गया और उनके पास बैठ गया.

मैं आंटी को जगाना नही चाहता था.
मैने धीरे से आंटी के पैर के एडी को छुआ.

लेकिन आंटी बेख़बर सो रही थी.
मैं तब धीरे से आंटी के पैरों को थोरा सा फैला दिया और घुटने से मोड़ दिया जिससे की उनके पैर अब खड़े हो गये.

आंटी की नाइटी अब झूल रही थी.
मैने नाइटी को धीरे धीरे उपर करना शुरू कर दिया.

मैं बहुत घबरा रहा था लेकिन गरम भी हो गया था.
मैने नाइटी को थोड़ा सा उपर किया और मुझको आंटी की जंघे दिखलाई दी.
आंटी की जंघे बिल्कुल दूधिया रंग की थी और बहुत चिकनी थी.

मैने थोड़ा सा और नाइटी को उपर किया और फिर मुझे आंटी के बॉल सॉफ हुई चूत दिख गयी.

आंटी की चूत देख कर लगा की आंटी ने आज सुबह ही अपनी झांतो को सॉफ किया है.
चूत के चारो तरफ का रंग हल्का ब्राउन था लेकिन चूत के लिप्स का रंग बिल्कुल गुलाबी था.

आंटी इस समय कोई पॅंटी नही पहनी हुई थी. मैने अब नाइटी को और थोरा सा सरका दिया और नाइटी आंटी के पेट पर गिर गयी.

मैं अब आंटी के सफेद पेट हल्का ब्राउन कलर की चूत और चूत के गुलाबी पत्टीओं को साफ साफ देख रहा था.
मैं आंटी के पैरों को और थोड़ा सा फैला दिया और अपना मूह आंटी की चूत के और पास ले गया.

मैने चूत को उपर से सूँघा.
मुझे चूत की खुसबू बहुत अक्च्ची लग रही थी.

आंटी के चूत से भाप जैसी गर्मी निकल रही थी.
इस समय मेरा चेहरा चूत से करीब 1” की दूरी पर था.

मैं अपनी जीव निकालकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को हल्के से चटा.
आंटी तब भी सो रही थी.
मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और चूत की दरार को हल्के से चाता.

मैं चूत की दरार को करीब 5-6 बार चटा और एक-आ-एक आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया और अब मुझे आंटी की चूत चाटने और चूसने का रास्ता बिल्कुल सॉफ था.

मैं चूत की दरार पाँच मिनिट से भी ज़्यादा देर तक चटा और फिर आंटी की चूत से घड़ा घड़ा रस निकलने लगा.

चूत से निकलने वाला रस बहुत ही चिप चिपा था और कुछ नमकीन और कुछ मीठा था.
चूत के रस का स्वाद इतना अक्च्छा था की मैं आंटी की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया.

आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया.
मुझे अक्च्ची तरह मालूम चल गया की आंटी जाग गयी है और अब सोने का बहाना बना रही है,और मैं तब बिस्तेर पर से एक तकिया उठा करके आंटी के चूटर के नीचे डालना चाहा.

आंटी ने अपनी आँख बंद रखते हुए अपने चूटरों को उपर उठाया और मैने तकिया आंटी के चूटरो के नीचे रख दिया.

अब आंटी की चूत काफ़ी उपर उठ गयी थी और मुझे चूत चाटने में आसानी हो रही थी.

अब मैने अपने हाथों के बल लेटकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को फैला दिया और चूत के जितना अंदर जीव जा सकता है उतना जीव डाल कर चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना चालू किया.

आंटी अब भी सोने का बहाना बना कर अपनी आँखों को बंद रखी थी और मुझे यह अक्च्छा लगा.

मुझे पता नही की मैं कब तक आंटी की चूत को चटा लेकिन मैं चूत चाटने मे बोर नही हुआ और आंटी की चूत से हर वक़्त रस निकलता रहा और मैं वो रस चट चट कर पीता रहा और आंटी भी मज़े से अपनी कमर उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवाती रही.

मैने जब घड़ी देखी तो उस समय 2.30 बाज रहे थे और इसका मतलब था की मैं करीब एक घंटे से आंटी की चूत चट रहा था.
अब मेरा मुँह और जीव दर्द कर रही थी.

मैं अब उठकर बैठ गया और आंटी की चूत में अपनी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.
मैं आंटी के पैरों के पास बैठा था और उनके चेहरे को गौर से देख रहा था.
उनके चेरे पर हर पल भाव बदल रहे थे लेकिन आंटी अभी भी अपनी आँखों को बंद करके लेटी हुई थी.

थोरी देर के बाद मैने घड़ी देखी तो 2.45 बज रहे थे और मुझे मालूम था की अब मीता और नीता के आने का समय हो गया है.

इसलिए मैं आंटी के कमरे से उठकर बाहर वाले कमरे में जा कर
बैठ गया.

कमरे के बाहर जाने के पहले मैं आंटी के कपड़े ठीक तक कर
दिए.

मैं बाहरवाले कमरे मे बैठकर मीता और नीता के आने का इंतजार करने लगा कयूवकी घर पर कोई नही है और आंटी कमरे में सो रही है.

स्टूडेंट लाइफ 2

थोड़ी देर के बाद बाहर के दरवाजे पर घंटी बजी और मैं उठकर दरवाजा खोल दिया.

बाहर नीता खड़ी थी.नीता अंदर आ गयी,मैने नीता से कहा की
आंटी सो रही है और घर की नौकरानी अपना काम ख़तम करके अपने घर चली गयी है.

घर मे कोई नही था इसलिए मुझे रुकना पड़ा.
फिर मैने मीता के बारे में पूछा तो नीता बोली, क्या वो घर पर नही है?

उसे तो बहुत पहले घर पर आ जाना चाहिए था कयूवकी वो तो हाफ डे बाद ही घर चली आई थी.

मैने कुछ नही कहा और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गया.
मेरा मूह और जीव अब बहुत दर्द कर रहा था.

मैं घर जाकर आंटी का नाम लेकर मूठ मारा और ढेर सारा पानी अपने लंड से निकालकर मैं अपने बिस्तेर पर सो गया.

शाम के करीब 7 बजे मैं अपनी किताब कॉपी लेकर आंटी के घर गया..
वहाँ नीता अंड मीता पहले से अपनी अपनी पढ़ाई में जुटे हुए थे और मैं भी जाकर उनके पास बैठकर पढ़ने लगा.

नीता मुझको देख करके मुस्कुराइ और फिर से पढ़ने लगी.
मीता मेरे तरफ देख कर एक शरारत भारी मुस्कान दिया और मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी.

मुझे कुछ समझ में नही आया और मैं उसकी तरफ देख कर सिर्फ़ मुस्कुरा दिया और अपनी पढ़ाई करने लगा.

थोरी देर बाद आंटी कमरे चार गिलास जूस लेकर आई और हुमलोगो ने एक एक गिलास जूस पिया.

मैं बिना झीजक के आंटी की तरफ देख रहा था और सोच रहा था की
आंटी आज दोफर के कार्यक्रम के बाद मुझे देखेंगी या मुस्कुराएँगी.

लेकिन आंटी के चेहरे पर कोई शिकन ना था.
आंटी ऐसे बर्ताब कर रही थी की जैसे आज दोपहर में कुछ भी नही हुआ है.

मुझे आंटी का बर्ताब बहुत बुरा लगा और मुझे कुछ कुछ गुस्सा भी आया.

मेरा गुस्सा मेरे चेहरे से भी झलक रहा था लेकिन आज आंटी मेरे पास नही बैठी और जाकर नीता के बगल में बैठकर नीता को पढ़ाने लगी.

मुझे बहुत परेशानी हो रही थी और मैं सबका चेहरा देखने लगा.
आंटी और नीता का चेहरा बिल्कुल सपाट था लेकिन मीता के चेहरे से शरारत झलक रही थी और वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

थोरी देर के बाद आंटी कमरे से चली गयी. पढ़ाई करते वक़्त,मीता मुझसे सवाल कर रही थी की आज दिन भर मैने क्या क्या किया.

मैं कुछ सॉफ सॉफ जवाब नही दे पाया और उठकर कमरे से बाहर चला गया.
मीता ने मुझसे कहा की कोई बात नही की और फिर उसने अपने दिन के बारे में बताया.

मीता ने मुझसे कहा की आज उसकी तबीयत कुछ खराब थी तो वो 2.00 बजे दोफर को घर वापस आ गयी थी.

मीता की बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया और मुझे कुछ नही
सुजाई दे रहा था.

मीता फिर बोली की घर पर 2.30 बजे तक थी और फिर वो कुछ समान खरीदने वो मार्केट चली गयी थी.

मेरे दिमाग़ मे अब यह बात घूम रही थी की मीता को मालूम है की मैं घर पर दोपहर में था और मैने क्या क्या किया.

है भगवान, आंटी इस समय कमरे में नही है नही तो आंटी को पता
चल जाता की उनकी लड़की ने हुमारे दोफर के कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता है.

मीता हुम्से दिन भर की बातें कर रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा
रही थी,अपने होंठ दाँतों से दबा रही थी और अपनी चूत को स्कर्ट
के उपर से सहला रही थी.

मुझे कुछ सुजाई नही दे रहा था और मैं बार बार कोशिश कर रहा था की मीता अपनी बातों को बंद करे और हम अपनी अपनी पढ़ाई
करे,लेकिन मीता बोले जा रही थी.

नीता को हुमलोगो की बाते कुछ समझ में नही आ रही थी और वो चुप चाप अपनी पढ़ाई कर रही थी.

थोरी देर में आंटी कमरे में आई और तब मीता एक-आ-एक अपनी बातों की टॉपिक बदल दिया और हुमसे पढ़ाई की बाते करने लगी.

आंटी ने हुमको और मीता को डांटा और बोली बाते बंद करके अपनी अपनी पढ़ाई करो.
करीब 9.30 बजे को मैं अपनी कॉपी किताब उठा कर अपने घर के लिए चलने लगा.

आंटी ने तब मुझे बताया की आज रात को भी हुमारे घर पर आ जाना
तब और ज़्यादा पढ़ाई कर सकते हो और तुम्हारे अंकल भी घर पर नही है.

मैने सर हिला करके हा कहा और कनखेओं से मीता को देखने लगा. मीता दबी ज़बान से मुस्कुरा रही थी और मुझे देख रही थी.

मैं करीब 10.15 बजे रात फिर से अपने घर से आंटी के घर पर वापस आ गया और फिर से हम तीनो अपने अपने पढ़ाई करने लगे.

रात के 12 बजे हम सुबने अपनी अपनी पढ़ाई बंद करके सोने के बिस्तेर पर चले गये.

आज फिर से आंटी मेरे बगल मे लेट गयी और मीता और नीता आंटी के बगल में लेट गयी. मीता ठीक आंटी के बगल मे लेटी थी और नीता लेटी थी मीता के बगल में.

सोने के 15 मिनिट्स के बाद आंटी की नाक बजने लगे और मुझे लगा की आंटी मुझे बताना चाहती है की अब सो रही है या सोने का बहाना कर रही है.

मैं उठकर बैठ गया और अंधेरे में देखने लगा की मीता और नीता सो गयी या नही.

दोनो लड़किया सो रही थी लेकिन मुझे मीता के बारे में चिंता थी की वो भी सोने का नाटक कर रही है.

मैं बैठे बैठे ही अपना एक हाथ आंटी की नाइटी के अंदर डाल दिया और नाइटी को उपर उठाने लगा.

मैं धीरे धीरे आंटी की जांघों को सहलाने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे औपर ले जाने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपना कमर उठा रही थी और उनके मूह से तरह तरह की आवाज़ भी निकल भी रही थी.

मैं आंटी के पावं को थोड़ा सा और फैला दिया और उनकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी.

आंटी की चूत अब बहुत गीली हो गयी थी और उसमे से चिप चिपा रस निकल रहा था.
मैं उनकी चूत में अब दूसरी और फिर तीसरी उंगली भी डाल दी और अपना हाथ हिला हिला कर उनकी चूत को अपनी उंगलियो से चोदने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपनी कमर ऐसे उठा रही थी की जैसे मैं सचमुच उनको चोद रहा हूँ.

मैं इस समय आंटी के पैरों के बीच बैठा था और उनकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.

एक-आ-एक कोई दूसरा पैर मेरे पैरों से टकराने लगा.

मैं घूमकर देखा तो वो पैर मीता का था..मीता अपनी जगह पर चित लेती थी और उसके हाथ उसके चुचियों पर था जिनको वो कसकर दबा रही थी.
मैं मीता को देखते ही समझ गया की मीता अभी सोई नही है और सिर्फ़ सोने का बहाना बना रही है और मेरे और आंटी के सारे कार्यक्रम देख रही है और मज़े ले रही है.

मैं आंटी की चूत को अपने दाहिने हाथ की उंगली से चोद रहा था और अब मैं अपनी बाईं हाथ को मीता के तरफ बढ़ाया और मीता के पैर को छुआ,लेकिन मीता सोती रही. मैने मीता की नाइटी को तोड़ा उपर उठाया और उसके जांघों को भी सहलाने लगा.

मुझे मेरी तकदीर पर विश्वास नही हो रहा था,मैं एक साथ आंटी और उनकी बेटी के सेक्सी शरीर के साथ खेल रहा हूँ और दोनो मा बेटी भी तैयार है.

मैने अपनी बैठने का पोज़िशन को थोड़ा बदला और मैं अब दोनो मा और बेटी के बीच बैठ गया.

अब मैने अपना एक हाथ आंटी के चूत पर से हटाकर आंटी की चुचियो पर ले गया.

जैसा की मैने सोचा था,आंटी अपनी नाइटी के नीचे कोई ब्रा नही पहनी थी.
मैने आंटी की नाइटी के सारे बटन को खोल दिया और बटन खुलते ही आंटी के दोनो गोल गोल सुनहरी सुंदर चुचिया मेरे सामने नंगी हो गयी.

मैने आंटी की दोनो चुचिया अपने हाथ से बारी बारी दबाने लगा
और उनके निपल को अपने उंगलियों में दबाकर मरोड़ने लगा.

मैं दूसरे हाथ से मीता की जाँघ को भी सहलाने लगा.
धीरे धीरे मैं अपना हाथ मीता की चूत के पास ले गया.

मीता अपनी नाइटी के नीचे पॅंटी पहन रखी थी. मैने धीरे से अपना हाथ मीता के पॅंटी के बगल से अंदर किया और मीता की चूत को छुआ.

मीता की चूत पर हल्के हल्के रेशमी बॉल थे और चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था.
मीता की चूत अपने मा की चूत से ज़्यादा गरम थी.

मैने अपने एक हाथ से मीता की पॅंटी उतरनी चाही और मेरा मतलब समझ कर मीता ने अपनी कमर उठा कर मुझे मदद करने लगी.

मैंने तब मीता की पॅंटी उतार दिया और अब दोनो मा और बेटी अपनी अपनी कमर के नीचे से नंगी थी और दोनो की चूत से रस निकल रहा था.

मैं सोच रहा था की मैं आंटी की चुचि और चूत पर अपना हाथ और मीता की चुचि और चूत पर लेकर उनसे खेलूँ लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था कयौकी तब आंटी मुझे और मीता का पकर सकती है.

इसलिए मैने आंटी की चुचि को दबाते हुए अपना मूह मीता के चेहरे के पास ले गया और मीता के गाल और होंठ पर चुम्मा देने लगा.

मीता भी मेरे चेहरे को अपने हाथों से पाकर कर चूमने लगी लेकिन अपनी मा की तरह उसकी आँखे अभी तक बंद थी.
अब मेरा एक हाथ आंटी की चूत पर था और दूसरा हाथ मीता की चूत पर था.

मैं मीता के होंठो को कई बार चूमा और अपना एक हाथ से मीता की चुचि को दबाने लगा.

मीता अपनी नाइटी के नीचे ब्रा पहने हुए थी और इसलिए मुझे मीता की चुचि को नंगा करते नही बन रहा था.
मैं कोशिश कर रहा था मेरा हाथ ब्रा के अंदर घुस जाए लेकिन ब्रा टाइट था और मेरा हाथ नही घुस रहा था.

मीता करवट लेकर मेरे तरफ अपनी पीठ कर दिया और मैने ब्रा की हुक
को खोल दिया.
अब मीता की चुचि नंगी हो गयी और अब मैं एक हाथ से आंटी की चुचि और दूसरे हाथ से मीत की चुचि को दबा रहा था.

मैं धीरे से मीता के और करीब खिसक गया और इशारा से मीता से कहा की मुझे अब उसके पास से हटना पड़ेगा और बाद में वो जब भी चाहेगी कर दूँगा,कयूवकी अब मुझे आंटी के पास जाना पड़ेगा.

इतना इशारा करके मैं धीरे से आंटी के नज़दीक चला आया और अपने दोनो हाथों से आंटी की दोनो चुचिया मसालने लगा.

अब मैने अपना सारा ध्यान आंटी पर देने लगा.
आंटी अब भी अपनी आँख बंद करके सोने का नाटक कर रही थी और उनको मेरे मीता के बीच चल रहे कार्यकलाप का कोई अंदाज़ा नही था.

मैने आंटी के नाइटी के सारे बटन खोल दिए और अब मेरे सामने करीब करीब बिल्कुल नंगी थी.
सिर्फ़ उनके पेट के उपर उनका नाइटी पड़ा हुआ था.

मैं अब धीरे से आंटी के नाइटी को उपर करना शुरू कर दिया और
आंटी थोड़ा झीजक कर अपने चूटर उठा दिया और मैं उनकी नाइटी को उनके सर से निकल कर बगल में रख दी.

अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल से नंगी थी और मैं उनके भरे भरे बदन से खेल रहा था.
आंटी की आँखे अब भी बंद थी और सोने का बहाना बना रही थी.

मैं आंटी के भरे भरे सुंदर और सेक्सी जिस्म को उपर से नीचे तक चाटना शुरू किया और एक हाथ से मीता को हल्का धक्का दिया और इशारा किया की वो मेरे और उसकी मा के क्रियाकलाप को देखे.

मीता ने जैसे ही अपनी आँख को खोला तो वो सन्न रह गयी क्योंकि उसकी मा बिकुल नंगी थी.
मीता को पता था मैं और आंटी क्या क्या गुल खिलाते है लेकिन उसको इतना सबका अंदाज़ा नही था.
मीता ने अब मेरे तरफ देखा और मुस्कुरा दी और फिर से अपना सर तकिये पर रख कर सो गयी,लेकिन अपनी आँख को खोले रखी.

अब मैं आंटी की चूत को चट रहा था और उनकी चूत से रस लगातार निकल रहा था.

उनकी चूत से इतना रस निकल रहा था की उनकी जंघे भीग रही थी.मैं बहुत मन लगा कर आंटी की चूत को चट रहा था और आंटी अपने पैरों को फैला कर और अपनी चूटर को उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवा रही थी.

आंटी पहली बार अपने हाथों से मेरा सर पाकर कर मेरा मूह अपनी चूत पर दबा रही थी और अपनी कमर उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी...
आंटी बहुत हिल रही थी और बार बार अपनी कमर उचका रही थी.
मैं समझ गया की आंटी अब अपनी चूत का पानी निकालने वाली है.
मैं बहुत चाब से आंटी की चूत को चट रहा था और चूस रहा था और थोड़ी देर के बाद आंटी झार गयी.

मैं आंटी की चूत से निकला हुआ सारा का सारा पानी चट चट कर पी लिया और फिर अपना ब्रीफ धीरे से नीचे किया.
ब्रेइफ नीचे करते ही मेरा लंड उछाल कर बाहर आ गया और अब वो आंटी की चूत मे घुस कर आंटी की चुदाई करना चाह रहा था.

मैं थोड़ा आंटी के उपर झुक गया और अपना लॉडा आंटी की चूत के
बराबर ले आया.
फिर मैं धीरे से अपना लॉडा आंटी की चूत के च्छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड आंटी की चूत में समा गया.

मैं फिर से अपनी कमर हल्की सी उठाकर और अपना लंड थोड़ा सा निकल कर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.
अब मेरा लंड पूरा का पूरा आंटी की चूत में घुसा हुआ था और मेरा और आंटी की झांते एक दूसरे में मिल गयी थी.

आंटी की चूत अंदर से बहुत गरम थी और फरफारा रही थी. आंटी अपनी चूत से लंड को चूस रही थी.
मैं अब आंटी को धीरे धीरे धक्का मारकर चोदना शुरू किया.

जैसे मैं आंटी की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, आंटी की चूत से पच पच की आवाज़ निकलना शुरू हो गया.
आंटी मुझको अपने आपसे कसकर चिपका रखा था और अपनी आँखे अभी तक बंद कर रखी थी, लेकिन अपने अंगो से मुझे चुदाई मे हेल्प कर रही थी.

मैं अपने आपको धीरे से आंटी के शिकंजे से छुड़ाया और फिर से उनको चोदना चालू किया.
जैसे ही मैने आंटी की चुदाई शुरू किया उनकी चूत फिर से आवाज़ करने लग गयी.
मैं अपना सर घूमकर मीता को देखा,वो बारे गौर से हुमारी चुदाई देख रही थी और हंस रही थी.

मैं अब धीरे धीरे अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ाना चालू की और
आंटी भी अपनी चूटर उठा उठाकर मेरे हर धक्को का जवाब दे रही थी.
मैं आंटी को करीब 15 मिनिट तक जोरदार धक्को के साथ चोद्ता रहा और बीच बीच में उनकी चुचियो को मसलता रहा और चूस्ता रहा.

ठोदि देर बाद में मैं झार गया और अपने लंड के फ़ौवारे से आंटी की चूत को भर दिया.
आंटी भी मेरे झरने के साथ साथ झार गयी और मुझे अपने आपसे कस कर चिपका लिया.

आंटी इतना कस कर मुझे जाकर लिया था की मेरे पीठ पर उनके नाख़ून का निशान बन गये थे.
मैं झरने के बाद आंटी के उपर ही लेट गया और हफने लगा.
और थोरी देर के आंटी को फिर से चूमने लगा.
आंटी भी मेरे चुंबनो का जवाब चुंबन से दे रही थी.

अब पहली बार आंटी ने अपनी आँखे खोल कर मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
आंटी की आँखों में चुदाई की तृप्टी का सच झलक रहा था.
आंटी मेरे चुदाई से बहुत ही तृप्त थी.

आंटी ने मुझे फिर से चूमा और अपना सर घुमा कर अपनी लड़कियों को देखा.
दोनो लड़कियाँ गहरी नींद में सो रही थी..
अपनी लड़कियों को सोते देखकर आंटी फिर से मुस्कुरा दी और मुझे चूमने लगी.

आंटी अब अपनी जगह पर उठकर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मूह में भर कर चूसने लगी और चाटने लगी.
चट चट कर आंटी ने मेरा लंड को बिल्कुल से सॉफ कर दिया.
मीता कनखियों से अपनी मा को मेरे लंड चुस्ती देख रही थी.

मैने अपना हाथ मीता के तरफ बढ़ाया और उसकी चुचियों को मसलना चालू कर दिया.
मीता मेरे हाथ को अपने हाथ से पाकारकर अपनी नाइटी के अंदर कर
दिया.
मैं समझ गया की मीता अपनी चूत पर मेरे हाथ को चाहती है. मैने मीता की चूत को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया.

मीता की चूत बिल्कुल गीली थी और उसकी जंघे भी भीग गयी थी.
मैं मीता की चूत को भीगा देखकर समझ गया की मीता अपनी मा और मेरे चुदाई देख देख कर गरमा गयी है और अब वो भी चुदवाना चाहती है.

आंटी की लंड चुसाइ से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था और थोड़ी देर में वो फिर अकड़कर खरा हो गया.
अब आंटी अपने जगह से उठ गयी और मुझे भी अपने साथ दूसरे कमरे में चलने को कहा.

मैं भी उठकर आंटी के पीछे पीछे दूसरे कमरे में गया.
दूसरे कमरे में जाकर आंटी और मैं एक सोफे पर बैठ गये.
सोफे पर बैठने के बाद आंटी ने मुझे अपनी बाहों में भर कर चूमना
शुरू कर दिया.

मैं भी आंटी को चूमने लगा.
आंटी मेरे मूह में अपनी जीव घुसेड दी और मैं उसको बारे प्यार से चूसने लगा.
हुमलोगों की यह चुम्मा चुम्मि कुछ देर तक चलता रहा.
फिर आंटी अपना हाथ से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी और फिर उठ उसको बारे गौर से देखने लगी.

थोरी देर तक मेरे लंड को देखने के बाद आंटी मुझसे बोली की तुम्हारा लंड बहुत ही प्यारा है और यह लंड तुम्हारे उमर के हिसाब से ज़्यादा बड़ा है.
फिर आंटी मुझसे बोली की अब मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में डॉगी स्टाइल में लेना चाहती हूँ.

तुम अब मेरी चूत में पीछे से लंड डालकर दम लगाकर चोदो.
इतना कह कर आंटी सोफे पर झुक गयी और उनकी चूत मेरे लिए पीछे से झकने लगी.
मैं उठ कर आंटी के पीछे चला गया और मेरे लंड को अपने हाथों से पाकर कर उनकी चूत पर लगा दिया.

जैसे ही मेरा लंड आंटी की चूत के च्छेद पर लगा आंटी ने अपनी कमर
हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत में भर लिया.
मैने भी तब आंटी की कमर पाकर कर आंटी को पीछे से चोदने लगा.

चोदते चोद्ते मैंने अपना हाथ और बढ़ाकर आंटी की चुचित्यों को भी मसलना शुरू कर दिया.
आंटी मारे खुशी के बहुत ज़ोर ज़ोर बार्बरा रही थी और अपनी कमर चला रही थी.
मैं आंटी को अबकी बार करीब 25 मिनूट तक चोदा.

चोदते वक़्त मैं अपने धक्के की रफ्तेर बार बार बदल रहा था और कभी कभी अपना लंड आंटी की चूत में जर तक घुसेड कर अपनी कमर घुमा घुमा कर उनकी चूत को चोद रहा था...थोड़ी देर मैं ही आंटी झाड़ गयी मैं भी झदाने के कगार पे था मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और अपना सारा वीरया उनकी चूत मैं डाल दिया

आंटी के चेहरे पर संत्ुस्ती भाव थे वैसे भी उनकी चूत ने आज दो बार मलाई खाई थी आंटी वहीं सो गयी मैं दुबारा उपर जाकर मीता की बगल मैं लेट गया मैने मीता नाइटी को उपर उठा दिया ओर मीता की ठोस चुचियों को अपने दोनो हाथों से मसलने लगा मीता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी उसकी चूत लॅंड माँग रही थी लॅंड की याद मैं आँसू बहा रही थी

मैने मीता की चूत मैं अपनी एक उंगली घुसा दी मीता उछल पड़ी क्योंकि मीता की चूत बहुत टाइट थी अब मैने एक हाथ से मीता की ठोस चुचियों को दबाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा मीता सिसकारी ले रही थी उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था मैने मीता के चूटरों के नीचे तकिया लगा दिया ओर अपना लंड चूत के मुँह पर लगा दिया चूत ने अपने होंठ फैला दिए जैसे वह लंड का चुंबन पाने के लिए काबसे बेकरार थी मैने अपने लॅंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और थोड़ा सा थूक चूत पर भी लगा दिया
मैने अपने लंड का दबाब मीता की चूत पर डाल दिया लंड चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा मीता दर्द की वजह से कराहने लगी मुझे डर था कहीं नीता ना जाग जाय मैने मीता के होंठो अपने होंठो मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया और एक जोरदार धक्का मारा मेरा लंड मीता की चूत मैं गहराई घुस चुका था मीता छटपटाने लगी मैं थोड़ी देर शांत हो गया और उसकी चुचियो को सहलाने लगा कुछ देर मैं ही मीता का दर्द कम हो गया अब मैने दे दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिया मीता की चुदाई मैं ऐसा मज़ा आया मैं आज भी उस चुदाई को याद करता हूँ तो मन रोमांच से भर जाता है मीता आह ओह सिसकारियाँ भरने लगी उस रात हमने दो बार और चुदाई की इस तरह से मैने मा बेटियों की चुदाई की

Monday, February 2, 2009

Pati k Dost aur main Akeli

मेरा नाम फाल्गुनी है. मैं ३४ साल की शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति बिज़नस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं.

कुछ दिन पहले की बात है मेरे पति दो दिन के लिए घर से बाहर गए हुए थे और मैं घर में अकेली टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देख देख कर मेरी चूत में से पानी आने लगा था. मेरा मन कर रहा था कि कोई मज़ेदार लंड मिल जाए तो जी भर के चुदाई करवाऊं.

वो कहते हैं ना कि सच्चे दिल से मांगो तो सब कुछ मिलता है. घर की कॉल बेल बजी तो मुझे लगा कि भगवान् ने मेरी सुन ली. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे पति के ख़ास दोस्तों वर्मा और गुप्ता बाहर खड़े थे.

अचानक उनको देख कर मैं चौंक गई. मैंने उनसे कहा कि 'ये' तो बाहर गए हैं दो दिन बाद आयेंगे. यह बात सुन कर वो दोनों भी उदास हो गए और बाहर से ही वापस जाने लगे. मैंने सोचा कि अगर इन लोगों को अन्दर नहीं बुलाऊंगी तो ये लोग बुरा मान जायेंगे. मैंने उनसे कहा कि आप लोग अन्दर आ जाईये. ये सुन कर मेरे पति के खास दोस्त वर्मा ने कहा कि नहीं भाभी हम लोग चलते हैं. हम लोग तो ये सोच कर आए थे कि पाटिल घर में होगा तो बैठ कर दो दो पैग लगायेंगे.

मैं आप लोगों को बता दूँ कि पाटिल मेरे पति का नाम है और ये सारे दोस्त हमारे घर में अक्सर दारू पार्टी करते हैं. क्योंकि इन लोगों के घरों मैं दारू पीना मना है.

मेने एक अच्छे मेजबान का फ़र्ज़ निभाते हुए कहा कि कोई बात नहीं आप लोग अन्दर बैठ कर पैग लगा लीजिये मुझे कोई परेशानी नहीं है. मेरी बात सुन कर दोनों खुश होते हुए बोले "क्या सचमुच हम लोग अन्दर बैठ कर पी सकते हैं."

मैंने कहा "क्यों नहीं आप का ही घर है आप लोग अन्दर आ जाईए, मैं आप लोगों के लिए पानी और सोडा का इंतजाम कर देती हूँ."

ये सुन कर गुप्ता ने कहा कि एक शर्त है "आपको भी हमारा साथ देना होगा !"

मैं पहले भी कई बार अपने पति के सामने इन लोगों के साथ दारू पी चुकी थी इसलिए इन लोगों को पता था कि मैं भी दारू पीती हूँ. मैंने तुंरत हाँ भर दी और वो दोनों अन्दर आ गए. अन्दर आते ही उनकी निगाह टीवी पर चल रही ब्लू फ़िल्म पर गई जिसे मैं बंद करना भूल गई थी. मैंने जल्दी से शरमा कर टीवी बंद कर दिया. लेकिन वो दोनों ये सब देख कर मुस्करा रहे थे. मैं किचेन मैं पानी और सोडा लेने चली गई.

किचिन में जाकर मैंने सोचा कि मैं तो एक लंड के इंतज़ार मैं थी और भगवान् ने मुझे दो दो लंड गिफ्ट में भेज दिए. क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए और ये सोच कर मैंने सोडा और पानी की बोतल फ्रीज़ में से निकली और तीन गिलास साथ में ले कर वापस कमरे में आ गई.. वर्मा ने अपनी जेब से व्हिस्की कि बोतल निकाल कर मुझे दी और मैं तीन पैग बनाने लगी. वो लोग साथ मैं खाने के लिए स्नेक्स भी लाये थे. हम लोग बातें करते हुए पैग लगा रहे थे. कुछ ही देर में हम सभी पर थोड़ा थोड़ा सुरूर छाने लगा.

उन दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया और फ़िर गुप्ता ने मुझसे पूछा "भाभी आप टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रहीं थीं तो फिर आपने टीवी बंद क्यों कर दिया. टीवी चलाओ ना हम लोग भी फ़िल्म देखना चाहते हैं. "

अब तक मुझ पर भी शराब नशा चढ़ने लगा था. मैंने सोचा कि यही मौका है चुदाई का माहौल बनाने का. ये सोच कर मैं उठी और टीवी चालू करने लगी. टीवी चालू करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया जिसे मैंने जानबूझ कर ठीक नहीं किया. मेरे कसे हुए ब्लाउज में से बड़े बड़े बूब्स आधे बाहर निकल आए थे. मैने तिरछी नज़र से देखा कि वो दोनों मेरे बूब्स पर निगाह गड़ाये हुए मुस्करा रहे हैं. मैने टीवी पर ब्लू फ़िल्म चालू कर दी और उसी सोफे पर जा कर बैठ गई जिस पर वो दोनों बैठे हुए थे. अब मैं उन दोनों के बीच में बैठी थी. टीवी पर चल रही फ़िल्म मैं भी एक औरत को दो आदमी चोद रहे थे. ये सीन देख कर हम तीनो ही गरम हो गए. मैने जान बूझ कर अपना पल्लू नीचे सरका दिया और सोफे पर आधी लेट गई. मेरे बगल में बैठे वर्मा ने पहल की और धीरे से मेरे बूब्स के ऊपर हाथ फिराने लगा. मैने कोई विरोध नहीं किया और आँखे बंद कर लीं. थोडी ही देर में उन दोनों ने मिल कर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरे बड़े बड़े फलों का रस चूसने लगे. अब हम लोग खुल चुके थे इसलिए मैने भी हाथ बढ़ा कर पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को टटोलना शुरू कर दिया था. वर्मा मेरे होटों को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा और गुप्ता मेरी एक चूची को मुंह में भर कर पीने लगा.

अभी हमारा खेल चालू हुआ ही था कि अचानक घर कि कॉल बेल फ़िर से बज गई. हम तीनो चौंक गए. मैने कहा कि अब कौन हो सकता है.

तभी गुप्ता ने कहा " अरे यार में समझ गया, शर्मा और ठाकर होंगे हमने उन लोगों को भी बुलाया था."

मैंने जल्दी से टीवी बंद कर दिया और अपने कपडे ठीक करने लगी तो वर्मा ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया और कहा " रहने दो भाभी ये लोग भी अपने ही दोस्त हैं इनसे क्या शरमाना"

जब तक मैं कुछ कहती तब तक गुप्ता ने दरवाजा खोल दिया था और मेरे सामने तीन नए लोग खड़े थे. जिनका नाम शर्मा, ठाकर और नारंग था.

अब घर में पॉँच मर्द थे और मैं अकेली औरत. शराब का दौर चल रहा था सब लोग नशे में थे. मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे. मेरी बरसों की इच्छा आज पूरी होने जा रही थी.. मेरी इच्छा थी की मैं एक साथ पॉँच मर्दों के साथ चुदाई का खेल खेलूं और आज ये सपना सच होने वाला था. किसी ने मेरे बदन से ब्लाऊज़ उतर दिया था. वर्मा और गुप्ता मेरी एक एक चूची को मुंह में लेकर चूस रहे थे. ठाकर जो बाद में आया था उसने अपना लंड निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और नारंग और शर्मा मेरे नीचे के कपडे हटाने की कोशिश कर रहे थे. मैंने उन सब को रोक कर कहा कि चलो अन्दर बेड रूम मैं चलते हैं. ये सुन कर उन पांचों ने मुझे गोदी में उठा लिया और ले जा कर बेड पर डाल दिया. अब मेरे बदन पर कोई कपडा नहीं था.

ठाकर जिसका लंड काला और ज्यादा ही लंबा था उसने मेरे मुंह में अपना पूरा लंड डाल दिया. मैं उसके लंड को लेमनचूस की तरह चूसने लगी.

नारंग और वर्मा ने मेरे बोबे मसलने और चूसने चालू कर दिए.

वर्मा ने मेरी दायीं तरफ़ आ कर मेरे हाथ में अपना मोटा लंड पकड़ा दिया. जिसे मैंने आगे पीछे करना चालू कर दिया.

गुप्ता पलंग के नीचे बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा. मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.

मेरे चारों तरफ़ अलग अलग तरह के लंड थे.. मैं किसी भी लंड को हाथ में लेकर खेलने लगती. मेरे मुंह में भी अलग अलग साइज़ के लंड डाले जा रहे थे और मैं सभी लंड बड़े प्यार से चाट और चूस रही थी. तभी उनमे में से किसी ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी. खुशी के मारे मेरे मुंह से चीख निकल गई.

मैं जोर से चिल्लाई "वैरी गुड..... ऐसे ही चूसो मादरचोदों चाटो मेरी चूत को.....". मैं पूरे नशे में थी और उछाल उछाल कर चूत चुसवा रही थी.

ठाकर ने मेरे मुंह में लंड डालकर मुंह की ही चुदाई शुरू कर दी. दो लोग मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर मुठ मरवा रहे थे. एक जन अभी खाली था इसलिए मैंने कहा,"मेरे यारोंरोंरोंरोंरोंरों..... अभी तो एक छेद बाकी है उसमे भी तो कुछ डालो"

मेरी बात सुनते ही वर्मा ने सब को रोक कर कहा कि रुको पहले आसन लगा लेते हैं. सब ने अपनी अपनी पोसिशन ले ली.

नीचे वर्मा सीधा लेट गया और मुझसे कहा "आओ भाभीजान मेरे ऊपर आओ मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डाल कर मज़ा देता हूँ."

मैं तुंरत अपनी गांड चौड़ी करके उसके लंड पर बैठ गई. वर्मा का लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा मोटा नहीं था इसलिए आराम से मेरी गांड में चला गया.

दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि मेरे पति भी काफी माहिर चुद्दकड़ हैं और मुझे बहुत मज़ेदार ढंग से चोदते हैं लेकिन मेरी प्यास उतनी ही बढ़ जाती है जितना मैं चुदवाती हूँ. यही कारण है कि आज मैं अपने पति के पाँच दोस्तों से एक साथ चुदवाने को तैयार हूँ.

हाँ तो दोस्तों वर्मा का लंड मैंने अपनी गांड में डाल लिया और सीधी होकर अपनी चूत ऊपर की तरफ करते हुए बोली " चलो कौन मेरी चूत का बाजा बजाना चाहता है वो आगे आ जाए."

नारंग जिसका लंड थोडी देर मैंने मुंह में डाल कर चूसा था वो मेरे ऊपर आ गया और निशाना लगाते हुए बोला "मेरी जान सबसे पहले मेरा स्वाद चखो."

गुप्ता भी मेरे सर कि तरफ़ आते हुए बोला "मेरी प्यारी भाभी मुझे अपने मुंह में डालने दो प्लीज़."

अब शर्मा और ठाकर बच गए थे. मैंने उनसे कहा कि आओ मेरे यारो, अभी तो मेरे दोनों हाथ खाली हैं.

इस तरह पोसिशन लेने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई. मेरी गांड और चूत में एक साथ लंड अन्दर बाहर हो रहे थे. मुझे जम कर मज़ा आ रहा था. मैं बीच बीच में अपने मुंह से लंड निकाल कर सिस्कारियां लेने लगी "आआआ.... और जोर सेसेसेसे..... चोद....ओऊऊऊऊऊ.....फाड़ डालोऊऊऊओ... मेरी चूत.... बहनचोदों एक भी छेद मत छोड़ना... सब जगह डाल दोऊऊऊओ.... फाड़ डाल मेरी गांड.... वर्मा....के बच्चे..... और जोर से नारंग...अन्दर तक डाल अपना हथियार...यार...आर आर अअअ आ आ आ....मज़ा आ गया."

काफी देर तक पोसिशन बदल बदल कर ये चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. कभी किसी ने मेरे मुंह में लंड डाला कभी किसी ने. अलग अलग लंडों का स्वाद मेरे मुंह में आता रहा. करीब एक घंटे तक चले इस खेल में मैं पॉँच बार झड़ चुकी थी. अब मेरी चुदाई की आग शांत होने लगी थी.

मैंने उन सबसे कहा "मेरे यारों...एक बात ध्यान रखना कोई भी अपना पानी इधर उधर नहीं डालेगा....सबको मेरे मुंह में ही अपना पानी डालना है... मैं बहुत प्यासी हूँ....मेरी प्यास तुम्हारे पानी से ही बुझेगी. कम से कम पचास ग्राम पानी पिलाना मुझे."

वो सब लोग भी अब अपनी मंजिल पर पहुँच चुके थे.

गुप्ता ने कहा "चल भोसड़ी की अब नीचे लेट जा और पानी पी... आज नहला देंगे तुझे मेरी जान."

मैं पलंग पर सीधी लेट गई और उन पांचों ने मेरे मुंह के चारों तरफ़ घेरा डाल लिया. मैंने एक एक करके सबके लंड को मुंह में ले कर पानी निगलना चालू कर दिया. मेरा पूरा मुंह और गला लिसलिसे वीर्य से भर गया. सबका मिलाजुला स्वाद मुझे कॉकटेल का मज़ा दे रहा था और मैं स्वाद ले ले कर उन सबका पानी पीती चली गई और सबके लंडों को चाट चाट कर साफ़ कर दिया. मेरी बरसों की तम्न्ना आज पूरी हो गई थी

Thursday, January 29, 2009

4 students ne meri izzat loot li Part-1

Hello mera naam Kalpana hai. Me apko mere bare me batati hoon meri umar 24 saal hai rang gora aur figar 34-26-36 hai. Me ek private school me teacher hoon. Ye kahani 2 saal pahle ki hai jab me nayi nayi is school me job ko lagi thi. Tab meri b. ed ki padhai katm huyi thi aur muze ye naukari lagi thi. Mai is school mai maths sikhati hoon. Me 8th se lekar 10th std ke bachho ko maths sikhati hoon. Tab ek do mahine hooey the muze school ko join karke. Me roz school bus aya jaya karti hi bus me hamesha hamare school ke bachhe rahte the bus hamesha school ke time par jati thi isliye bus hameshahi khachakhach bhari rahti thi. Muze to hamesha khade rahke jana padta tha. Ye baat tab ki hai jab august me hammare school ka exam tha aur barishke din the.sabhi bachhe hatme book leke padhai karte the bus me bhi sab padhai karte the. Par inmese kuch bachhe the jo padhai se jyada mauj me hi khoye the. Wo hamaare school ke sabse poorane aur sabse bigade huye ladke the. Wo sab class 9th ke student the aur wo laghabag ek hi class me 4 baar fail hogaye the isbaar school ne unhe ye hidayat di thi ki agar isbaar wo fail hojate hai to unko scoolse nikala jayega. Ittafaqse wo sab mere hi subject me fail hote the. Us din wo charo mere piche khade the bhid itni thi ki sab ek doosrese chipak ke khade the unmese ek muzko chipak ke khada tha. Bahar barish ho rahi thi aur bus school ki taraf ja rahi thi. Subah ka waqt tha. Barish ke karan me bhig gayi thi. Chata to tha lekin hawa ke wajahse me bhig gayi thi. Me school me hamesha saadi pehanke jaati thi hamare school me saadi pahanana compulsory tha.



Wo jo ladka mere pichhe khada tha who muzse itna chipka hua tha ki uska sharer mere sharirse ragad raha tha. Muze uspar bohat gussa aya par sabke samne apne student ki ijjat kharab ho jayegi isliye me chup thi. Uska haat meri kamar ke upar lag raha tha. Jab school aya to sab utar gaye tab use mene apne office me boolaya aur usko bohat pita aur phir use class ke samne bhi pita. Me school mai bohat sakht thi. Muzse saare bachhe darte the. Kuch din bit gaye fir ek din jab school chuta to bus me jate waqt wo sab mere piche hi khade the. Kuch der bus aage jane ke baad kisine mere chuttrope jor ka chanta maara. Aur wo charo hasne lage. Me dar gayi thimene unki taraf gusse se dekha wo sab shant ho gaye. Agale din wo firse mere pichhe khade ho gaye. Ab ki baar firse mere chuttrope kisne haat lagaya. Mene palat ke dekha to who sab kuch hua hi nahi aise behave kar rahe the. Muze bohat gussa araha tha. Lekin me kuch kar bhi nahi sakti thi agar mene kuch kaha to unke saath meri bhi badnami hogi school me sab muze chidhate ki ek madam ki ched unke student ne nikali. Isliye mene un charo ko firse class me pita.

Fir kuch din shanty se bite lekin firse ek din bus me wo mere pichhe khade the unmese ek ne muze chuti kati aur me chilayi uiiiiii mmmaaaaaaaaaaaaaaaa a sab school ke bachhe muze dekhane lage aur muze poochha kya hua madam maine kaha kuch nahi chiti ne kata aur unki taraf dekhkar apni pith ko khujane lagi. Unki himmat bohat badh rahi thi. Wo ab roz muze pareshan kar rahe the muze unpar itna gussa tha par ladki hone ke karan kuch kar nahi sakti thi mene a bunko ptna bhi chord diya tha pitai unpar koi asar hi nahi hota tha doosre din wo wahi karte the. Mene iska gussa unke result pe nikala aur pahle exam me unko charo ko fail kar diya. Result ke din jab mai bus me ghar ja rahi thi roz ki tarah wo mere pichhe khade the. Aur bus stop se nikali thi aur adhe raste mai unmese ek ne mere chutrope haat rakha isbaar usne haat nikala nahi. Mene palat ke dekha to unmese sabase hatte katte student ne mere chuttrope haat rakha tha. Mai dar gayi mene haatse uska haat nikala aur thodi age sarak gayi . lekin wo nahi mana aur isbaar mere dono chuttrope haat the ab to doosre ne bhi haat rakh diya tha.

Isbaar me chupchap khadi rahi mene ab than liya tha ki unki kisi harkatpe response hi nahi karna me waise hi khadi rahi. Lekin ab to unki himmat aur badh gayi usne mere chuttrose haat nikala mene chain ki saans li lekin agale hi pal uska haat pichhese mere chati par agaya aur mere boobspe ragad ne laga. Bhidke wajahase samne wale admi ke karan uska haat kisiko nahi dikh raha tha lekin fir bhi mene himmat nahi haari aur waisehi khadi rahi wo mere boobs ko dabane laga to mere ander ek current utha aur mere kamar me akad agayi aur mere chutes paani nikala aur me jhar gayi meri panti gili ho chuki thi aur me kuch halka mehsoos kar rahi thi. Lekin me bohat dari hui thi. Itne me unka stop agay aur who sab utar gaye. Lekin muze idhar pasina chut raha tha. Me pahli baar us din jhari thi. Muze kuch ajibsa mahsoos ho raha tha mere sharir ko ajibsa sakoon mil gaya tha. Mai ghar jane ke baad apne kapde utar kar dekh to meri panti gili ho gayi thi aur choot bhi gili thi. Mene apne choot mai ungli daali aur us ladke ke haat ka sparsh mere saamne agaya aur muze aisa mahsoos ho raa tha ki mano wahi mere choot me ungli kar raha ho mere unglise mai firse jhar gayi. Mai unke kartootse aaj paheli baar gussa hone k bajay khush thi. Lekin wo ladke muze aur kuch kar na de isliye me teen char din school gayi hi nahi. Lekin mere ghar ki halat itni thik nahi thi ke me gharme rah sakoo mere gharme bohat garibi thi. Isliye muze school jana pada us din wo ladke muzse bohat door khade the kuch din wo mere karib nahi aye. Lekin ab muze unka karib ana pasand tha.
Aur us din saturday tha school jaldi chut gaya tha aur maine rozki tarah ghar jane ke liye bus pakdi. Aaj bohat hi bhid thi aur who charo bhi mere aspas hi khade the. Bus apne raste nikal padi mene bus ka ticket liya aur khadi thi ki achanak mere jhangho par kisika haat ghumta hua mere chuttropese mere chati ke upar chala aya muze to yahi chahiye tha. Mene kuch nahi kiya balki us ladke ke aur karib agayi aur usko touch karke khadi ho gayi wo charo mere age piche khade the. Unhone muze cover kar liya tha isliye mai kisiko dokhai nahi de rahi thi. Hum sab pichale seat key yaha khade the us ladke ne mere boobs dabana shuroo kiya muze masti arahi thi lekin maine chup khadi thi tabhi stop par bus rooki aur hamare bajoowali do seat khali ho gayi mai waha baith gayi maine khidki wali seat pakdi aur unmese ek ladka mere saath baith gaya hum bus ki last seat par baithe the. Aur wo teeno ladke hamare age khade ho gaye yaani ab hume koi dekh nahi sakta tha. Ab usne mere jhanghopar haat rakhkar meri saadiko upar karne laga to mene use roka lekin usne meri saadi mereghutne tak upar ki aur mere saadi me haat dala uska haat mere panti ke upar thaw o mere choot ko haatse sehalane laga mere sharer me firse akdansi hogayi aur me jhar gayi mere chootse paani nikala to who uske haatpar laga wo meri taraf dekhakar hasane laga. Ab usne ek haatse mere blouse ko khola aur mere bra ke uaparse mere stanoko masalne laga. Uske is harkatse me pagal ho uthi thi muzme sharam naam ki chij bachi nahi thi. Kuch der mere boobs ko dabane ke baad usne mere kaan me kaha madam agar poora maza chahiye to hamare stop par utar jao.

4 students ne meri izzat loot li Part-2

Aur usne muze kapde sidhe karne ko kaha. Maine kapde sidhe kiye aur unke kahane ke mutabik unke stop par utar gayi aur phone booth jakar gharme phone karke bataya ki mai mere saheli ke pass ja rahi hoon ghar aneme der hogi. Fir un charo ke saath chal padi. Kuch der chalne ke baad hum ek hotel par agaye usne do kamre book kiye. Do isliye kisiko shak na ho usne muze bahar hi khade rahne ko kaha. Hodi der me unke piche chali gayi. Wo muze ek kamre me lekar aye. Wo charo bhi usi room me agaye fir wo muze dekhate huye hasane lage. Aur unmese ek bola dosto aaj hum apne pyaari madam ko chodne wale hai. Madam ji ko bhi kitni khujali hai ki wo apne hi students se chudwana chahti hai. Tabhi doosra bola saali randi ne bohat maara hai humko aaj saali ki choot hi fad daloonga. Aaj isko aisa chodunga ki ye fir kisi student ko haat bhi nahi lagayegi. Fir wo charo muzpe tut pade koi mere chati pe koi mere jhangho pe to kisine mere ontho ko kiss karna shooro kiya wo charo mere kisina kisi angse khel rahe the unhone muze apne wash me kar liya tha. Ek mere daye boobs ko daba raha tha to dusra mere blouse ko khol raha tha usne mere blouse ko kholkar mere bra ko upar kiya aur mere boobs ko muh me lekar choosne laga. Jaise koi chota bachha apne maa ka doodh pita hai waise mera stanpan kar raha tha.ek ne meri saadi nikalkar door fenkh di aur mere panti ke uparse mere choot ko haatse sehlane laga tha me un charo ke nashe me jhoom rahi thi. Muze kuch hosh hi nahi thi me hawas me itni gandi ho gayi thi ki ek saath char paraye ladko ke saath apni jawani loota rahi thi. Un charone muze poora nanga kar diya tha meri unchuyi choot unke samne poori nangi thi. Maine do din pahle hi chootke uparke baal nikal diye the. Meri gori choot dekhakar unmese sabse bada bola saali ki choot dekh to jara kitni chikni hai lagata hai kisine isko abhi tak maara nahi hai. Aur usne muze poocha kyon madam apne kabhi kiske saath apni choot ko marwaya hai ya nahi. Main saar hilate na ka jawab diya. Aur wok hush hua aur apne kapde nikalne laga. Aur apne dostose kahne laga dekho me sabse pahle madam ki choot ko chodunga kyonki hotel ka bill mene bhara hai. Wo poora nanga ho chukka tha. Uska lund dekhkar meri saans hi atak gayi wo kisi ghode ke lund itna bada tha.

Wo mere upar agaya aur muze kahne laga “ madam aap hume roz padhati hai na aaj hum apko sikhayenege ki chudayi kaise karte hai. Aaj to teri choot to mai faad ke hi rahoonga tere ankhose ansoo nahi nikle to me bhi ek baap ka beta nahi.” Uske baate aur lund dekhakar main dar gayi thi. Ab usne mere dono pairo ko failaya aur apna lund meri chotisi chootpar rakha aur use mere choot ke ander dhakelne laga. Usne mere pairo ko kaske pakda aur jorse apne lundko mere chootpar dabate usne uska lund mere choot ke ander ghoosaya lund ander ghoste hi mai chillayi me chatpatane lagi jaise kisi machali ko paani se bahar nikalne ke baad machali chatpatati hai. Mai chillani lagi uuuuuuuuuuiiiiiiiii iiiiiiiiiiii mmmmmmmmmmmmaaaaaaa aaaa chordooooooo muze plssssssss aaaaaaaaaaaahhhhhhh hh aaaaaaaaaaaaaahhhhh hh mmmmmmmmmaaaaaaa mar gayyyyyyyyyyiiiiiii iiiiiii nikalo tumhara ye lund bohat dard ho raha hai. Please chordo muze. Mai chatpatati huyi use kahne lagi par wo muze kahne laga saali itne me hi dard ho raha hai abhi tak sirf muh hi ander gaya hai poora jane ke baad to fir kya hoga pahle dard hota hi hai. Baad mai bohat maza ata hai jyada natak karegi to jabardasti karni padegi abhi hamko garam kiya hai chupchap thandi kar nahi to tera aisa haal karenge ki shakal dikhane ke layak nahi rahegi. Aur usne apna lund mere choot aur ghoosaya muze chakkarse anelaga tha. Choot itni tight thi ki usko kaafi jor lagana pad raha tha idhar me jhar gayi aur mai dhili padgayi asthe asthe usne poora lund mere choot mai ghusaya to meri seal bhi toot gayi thi mere chootse khoon nikal raha tha. Mai dard ke mare rone laggayi thi mere ankhoke ansoo dekhkar usko jeet mili thi usne jo kaha wo sabit bhi kiya tha meri choot fat bhi gayi thi aur mere ankhose ansoo bhi beh rahe the. Usne lund thoda bahar nikala aur firse ander ghusaya fir usne lund ander bahar karna chaloo rakha adhe gante me saat baar jhar chooki thi lekin wok is mitti ka bana hooa tha ki jharne ka naam hi nahi le raha tha. Ab mera dard kam ho gaya tha aur muze maza ane laga tha mai bhi usko apni kamar upar karke saath de rahi thi. Usne apna speed badhaya aur muzse lapte huye kahne laga uuuuuuuuuuuuuuuuuuu fffffffffffffff maaaaadammmmmm ab mera niklne wala haaiiiiiiiiiiii. Aur mere choot mai jhar gaya. Thodi der tak mere upar pada rahne ke baad muzse hat gaya ma bohat thak chooki thi lekin wo hat gaya tha ki doosra tayar tha usne ab mera kabza kiya aur muze kutti ki tarah khada kiya.

Muze kahne laga “ usne apki choot faadi ab mai apki gaand ko faadoonga mai apki gaand maroonga aur usne apna lund mere gaand mai ghusaya halaki uska lund pahle ladke itna bada nahi tha lekin meri gaand ka ched bohat chota hone ke karan mere gaand me dard ho raha tha. Lund gaand mai ghuste hi mai dard se aage bhagne lagi lekin agese doosre ladke ne muze pakda aur mere muh me apna lund dalkar mere muh ko chodne laga. Muze chootse jyada gaand marnese jyada dard ho raha tha. Lekin wo kambhakakht meri gaand ko ghode ke speeds chod raha tha meri gand me uska lund laghbagh 10 min tak ander bahar hua aur wo jhar gaya. Mai bohat thak chuki thi lekin wo char mai akeli thi ab ek ke baad doosra doosre ke baad tisra iske mutabik tisra mujhpe chadh gaya aur uske baad chuatha. Charo muze ek ke baad ek chodne lage charone muze dopahar 1.30 pm se shyaam ke 5 pm tak choda unhohne muze ek ek ne muze do round choda fir hum sab shyaam ko ghar nikale lekin muze chala nahi jar aha tha kaise waise mai ghar aayi aur apne bistar par letete hi so gayi us din muze bohat achhi nind aayi.

Uske baad to mai unki rakhail ho gayi thi unke jab ji ata wo muze chodte the. Unhone muze black mail bhi karna shooru kiya tha. Agar mai unko pariksha mai paas nahi karoongi to wo muze poor school mai badnaam karenge.. Isliye mai unko paper ke saare answer batati thi. Wo muze kabhi mere cabin mai bhi chodte the unhone ek baar muze unke dosto ke saath bhi chudwaya tha. Bus mai bhi wo charo muze bohat chedte the. Ab wo schoolse paas hoke gaye hai isliye ab wo muze jyada milte bhi nahi hai. Lekin kabhi kabhi wo muze apne ghar bulate hai aur kabhi mere ghar bhi ate hai mai unko tution padhane ke bahane apne ghar bulati hoon aur unse naye naye sex ke lesson leti rahti hoon.

Friday, January 23, 2009

Doctor Ki Wife

Aap ye to jaante hi hai ki mai jammu me rahta hoon or mere ghar ke paas me hi ek ghar me chhota sa clinic hai, clinic neech hai or uper ke hisse me clinic ke doctor rahte hai, unka naam saleem hai, unke age koi 30-32 ke aas paas hoge, unke pehle ek shaadi ho chuke thi lekin unke beech me divorce bhi ho chukka tha.

Abhi 1 saal pehle unhone dusre saadi ki hai apne pasand se, unke wife sach me bahut khoobsurat hai, kyonki unka ghar mere ghar ke bagal me hi hai to main aksar unko dekh he leta hoon, saadi ke baad 4-6 mahine tak to wo ghar se bahar aate hi nahi thi lekin dheere dheere aane lage hai, unke ghar me husband wife or ek nakurani rahte hai, saleem kahne ko hai to doctor lekin bahut hi patale dubale aadmi hai, or unki wife unki oppisit hai unka jism bahut hi healthy hai, or unke boobs ki ucchiya unki khoobsurati ko or bhi bada dete hai. Chuke wo ghar ke bagal me rahte thi isliye baat cheet to hote hi rahte thi, main unhe nazma bhabhi kahta tha.

Shaadi ke kuch dino tak to sab kuch normal tha lekin kuch hi time ke baad un dono me tension hone lage the. Ha ek baar or bata doon ki unki chhat mere chhat ke barabar hai lekin unke chhat par bhi ek room bana hua hai, abhi 3 mahine pehle ki baat hai garmiyo me humlog chhat ke uper sone chale jaate the, ek din main jab chhat par sone gaya to dekha ki bagal ki chhat par doctor sahib ki wife (unka naam nazma tha) chhat par khadi thi, ustime unhone nighty pehn rakhe thi, bahut halki nighty thi, jisse unke sareer ke ander bhi dekha jaa sakta tha, lekin chhat par roshni kam hone ki wajah se main unke sareer ko tikh se dekh nahi paa raha tha.

Tab main unse pooch ki- nazma bhabhi khana kha liya aaplogo ne! To unhone kaha- ha khana to ho gaya hai bas sone ki tayari ho rahe hai, tab maine poocha ki kya aap log chhat par hi sote hai. Tab unhone kaha- ha, kabhi kabhi jab garmi jayada hote hai to chhate par hi sote hai. Main kaha ki saleem bhai kaha hai kya wo niche hai ya kahi gaye hai, to unhone kaha ki wo to apne sister ke yaha gaye hue hai wo kal morning me aayenge, tab maine kaha to kya aap ghar me akele hai… bole-ha, tab maine kaha ki kya aapko akele dar nahi lagta hai… tab nazma bhabhi ne kaha ki neeche dar lag raha tha to chhat par chale aaye, or ab neend bhi nahi aa rahe hai… maine kaha neend to mujhe bhi nahi aa rahe hai, tab unhone kaha ki mere chhat par aa jaye thode der baith kar baate karte hai uske baad jab neend aane lage to chale jayega… or main unke chhat par chala gaya.

Unhone room ke ander se ek folding bed nikala or kah ki baithye, baith kar baate karte hai. Or main folding bed par baith gaya. Wo mere bagal me aakar baith gaye or hum log pehle to aise hi baate karte rahe, phir acchanak unhone pooch ki ye bataiye aap ki kitne girl friends hai, maine kaha – ki agar sach bataoo to mere girl friend ek bhi nahi hai, tab unhone poocha ki- eska matlab aapne kabhi life me enjoy nahi kiya hai, maine kaha nahi aise baat nahi hai, life me enjoy to bahut kiya hai. To phir wo bole kis terah ka enjoy kiya hai jara hame bhi to bataye- unke sawal ko sunkar main thoda sharma gaya or apna sar niche jhuka liya, to bade pyaare se mere sar par haath pharte hue kaha- are tum to mujhse sahrma rahe ho, tum to mujhe bhabhi kahte ho to phir mujhse kaise sharm… unka haath dheere dheere mere sar se mere gaalo par aa gaye the wo bade pyaar se mere gaalo par apna haath phere rahe the, unke haath bahut hi soft the, jab unhone mere gaalo ko touch kiya to mere ander ek ajeeb se sansani hone lage or main thoda sa pichhe hatkar baith gaya or samjh gaye ki main sharma raha hoon, tab unhone phir poocha ki kya aapne kabhi kisi ladki ya aurat ko nanga dekha hai to maine kaha- ha dekha to hai, lekin kabhi jee bhar kar nahi dekh paaya, or waise to adult movies me kitne baar dekhe hai lekin jo maja samne samne dekhne me hai wo movie me kaha, mre baate sunkar wo haste hue bole – baate to bahut acche karte hai aap.

Main kaha ki agar aap jaise khoobsurat aurat samne ho to baate khud hi acchi ho jaate hai. Baate karte karte nazma bhabhi ka haath mere gaalo se hote hue mere sine tak aa gaya tha or wo mere sine par haath pherte hue bade pyaar se bole – kya tumne kabhi kisi ke saath chudai ki hai. Nazma bhabhi ke muh se achaanak chudai jaise shabad sunkar main to chowk gaya, or ghabra kar maine apna sar niche kar liya, uske baad wo mere jaangho par haath pherte hue bole- main bahut dino se akele hoon, kya aap mere saath denge, tab maine pehle baar bhabhi ki aankho me aankh daalkar unke teraf dekha sach me unke chehre me ajeeb hi kashish thi us waqt… main bina kuch kahe bhabhi ke chehre ko apne haatho se apne teraf kheechte hue unko hoto par kiss kiya, to unhone apne aankhe band karke apne aap ko bilkul free chod diya, tab main samjh gaya ki aaj ki raat janaat ki shair karne ko melege… phir main bade aaram se nazma bhabhi ke hoto ko chusne laga or apne haath unke baalo me pherne laga main bahut maje se unke hoto ko chus raha tha phir bhabhi ne dheere se apne aanke khol de or mere muh me apne jeebah dekar bahut maje se mere hoto ko chusna start kar diya or apne haath se mere jaango ka sahlane lage, nazma bhabhi ki nighty bahut hi halki thi jisse mujhse unka pura jism ab saaf saaf dekh raha tha, phir maine apne haate unke baalo se hatakar unker chuchiyo par rakhkar unko sahlane laga to wo halke se aaaaaaahhhhhhhhhh sunny jor se dabo or phir main bina kuch kahe unke chuchiyo ko jor se dabate hue unke nighty ke uper ka hissa niche kar diya or ab unke chuchiya mere aanko ke samne the, bade bade chuchiya or useke gulabi nipples ko dekhkar to main apne kaboo me nahi raha or jaldi se unki chuchiyo ko apne hoto se chusne laga, pehle to main unke nipples kesaath khelta raha or phir jab maine unki chuchiyo ko chusna start kiya to wo aaaaaaaaaaahhhhhhhh hhhhhhh or jor se chuso pura ras chus lo mere sunny, or jor se sunny aaaaaaaauuuu ffffffffffaaaaaaa chuste raho. Unke chuchiya itni acchi thi ki kya bataoo main unko bahut der tak chusta raha phir main apna haath unke chut par uper se rakha or unke chut ko halka halka sahlane laga, thode der me hi mujhe ashaas hua ki unke chut gilli ho chude hai phir main bina time waste kiya maine pure nighty khol de, main jaise hi nighty khole to nazma bhabhi bole- yaha nahi room me chalo yaha kisi ne dekh liye to mere liye to bahut mushibat ho jayege.

Maine kaha tikh hai or phir maine unko apne gode me uthkar ander ke room me le gaya, ander bed pada tha, uske bagal me ek table rakhe thi jis par kuch adult books rakhe thi, nangi chudai ki tasveer thi usme, to main poocha ki kya aapne rakhe hai to wo bole nahi, saleem ka lund itni jaldi khada nahi hota hai to wo ye dekhar apna lund khada karte hai or phir 2 minute me halke ho jaate hai.

Phir main bina kuch bole unke bed par lita kar unke bagal me jaakar unke chuchiya phir se chusne laga or wo mere sar ko apne chuchiyo par jor se daba rahe thi or badabada rahe thi chus loo aaj pura chus loo aaa aaaaaaaaaaahhhhhhhh hhhhhhhhhhhhhhhh hhhhhhhhhh chuste raho. Ab nazma bhabhi pure terah se mast ho chuke thi, maine bina time waste kiye unke chut ko apne haatho se sahlane laga or phir dheere se ek ungli unke chut ke ander daal diya, unke chut pure terah se gilli thi isliye mere pure ungli andere chale gaye phir maine 2-3 ungli ek saath ander daali lekin chut gilli hone ke wajah se wo bhi bade aaram se ander chale gaye ab main apne ungli unke chut me ander bahar karne laga to unhone mere haath ko pakkar kar rok diya to main samjh gaya ki bhabhi kuch jayada excited ho gaye hai phir maine jhat se apna muh bhabhi ki soft or mulayam chut par rakh kar pehle to chut ke charo taraf kiss kiya or phir halke se jeebah nikaalkar bhabhi ki chut ke ched par laakar use chusne laga bhabhi pure excited hokar unhone mere muh ko apne chut par jor se dabate hue halke se dhakke marte hue bole jaa rahe the aaaaaaaaahhhhhh maja aa raha hai sunny aise hi chuste raho uuuuuuuuuuuuuuuufff fffffffff aaaaaaahhhhhhh or jor se or jor se uuuuuu uuuuuuuuuuuuuuuuuuu hhhhhhhhhhhhhhhh hhhhhhhhhhhh chus lor mere chut ko pura ras chus lo or main or jor jor se unke chut ko chusne laga or nazma bhabhi dhakkae laga lagakar mera saath de rahe thi tabhi achaanak bhabhi ki dhakkakoo ki speed tej ho gaye or oooooohhhhhhhh aaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaahhhhhhhhhhhhh hhhhhh or apne haath se mere muh ko apne chut me jor se daba diya or phir dekhte hi dekhte bhabhi halki hogaye. Unke chut se nikalne waale ras ko maine bade maje se pura chus liya or main waha se bahar aakar maine apna muh dhokar unke paas gaya wo woise hi lete hue thi.

Main unke bagal me jaa kar let gaya, phir wo mere teraf ghume or mere baniyan ko mere sharer se alaag kar diya or mere paijame ko bhi ab mere lund pure terah se tiet hokar azaad ho gaya tha, bhabhi ne mere lund ko apne haatho me lete hue bola lund ho to aise, dekhte hi maja aa gaye. Or phir wo halke halke mere lund ko hilane lage. Or phir mere uper aakar mere sine par kiss karne lage to main or bhi jayada excited hokar unse lipat gaya pehle wo mere sine par kiss karte rahe phir wo kiss karte karte mere pet or phir mere jaanjo par kiss karne lage or phir mere lund ko apne haatho se hilate hue apne muh ke paas le jaakar mere lund par ek kiss kar liya, unke hoto ka sparsh paa kar to mano mera lund or bhi jayada tiet ho gaya phir bade pyaar se nazma ne apne jeebah bahar nikaal kar mere lund par pherne lage jab wo apna jeebah mere lund par phere rahe thi tab to main apne kaboo se bahar hone laga tha, tab unhone mere halat dekhkar mere lund ko apne muh me lekar use chusne lage, pehle to unhone mera aadhe lund ko apne muh me liya phir main ek jhatka mara ki mera pura lund unke muh me ghus gaya or wo guuguuuuuu karne lage phir maine thoda se lund bahar nikala to bhabhi apne jeebah se mere lund ko chusne lage ab mere control khone laga tha or laga ki ab jhad jaoonga tabhi bhabhi ne lund ko apne muh se nikaal kar mujhe dekhte hue bole sunny accha lag raha hai ya nahi.
Maine kaha bahut accha lag raha hai or phir maine unko apne uper kheech liye or unke hoto par jor se kiss karne laga or phir unke apne neech karke main unke dono pairo ke beech me jaa kar unke dono pairo ko uthkar apne kandhe par rakh liye ab unke chut ke ched bilkul mere lund ke samne thi. Phir main bhabhi ki chut me pehle 2 ungli daal kar use ander bahar karne laga.

Phir maine apne ungli nikaalkar unke chut ke ched par apna lund rakhkar ke jor ka dhakkar mar to mera pura lund bhabhi ki chut me chala gaya or jor se chilla uthi hhhhhhhhhhhhhhhaaaa aaaaaa marrrrrrrrr gaye uuuuuuuuuuuuuuuuuuu uuuuuuuhhhhhhh aaaaaaaaaaaaaaaaaaa ahhhhhhhhhhhhhhh hhhhhhhhhhhhhhhh h mar gaye main, maine phir jor ka ek jhtaka or mara or apne lund ko unke chut me ander daalkar 2 minute aise hi ruk gaya or wo aaaaaaaaaaaaaa hhhhhhhhhhhhhhhhhhh hhhaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaa a phir wo dheere dheere siskene lage wwwwwwwwwhhhhhhhhhh hhhhhhhh aaaa uske baad maine apne lund ko thoda sa bahar nikaalkar phir se jathka mara to bhabhi kah uthe ha sunny phaad do mere chut ko aaj, 2 mahine se pyaasi hoo mere chut ke pyaas bhuja do sunny, or jor se chodo mere chut ko, ye sunkar mere ander or josh aa gaya or main or jor se unke chut ko chodne laga or nazma bhi apna kamar utha utha kar mera saath dene lage phir thode der baad unkekamar uper uthane ke speed bahut tej hokar band ho gaye to main samjh gaya ki nazma jhad chuke hai lekin main nahi jhada tha or main jor jor se unke chut me apna lund ander bahar karne laga or phir thode der baad main bhi jhadne ke stage me aa gaya to maine unse kaha ki main jhadne waala hoo to unhone kaha ki koi baat nahi apna virya mere chut me hi gira do or phir main dekhte hi dekhte jhad gaya. Jhadne ke baad 2-4 minute tak to main unke uper hi leta raha phir uthakar bagala me aakar let gaya to nazma to apne jeebah se mere lund ko saaf kiya or phir wo bathroom chale gaye. Main wohi thode der tak to leta raha or jab nazma aaye to maine kaha ki main ab apne chhat par jaa raha hoon or jab ghadi ki teraf dekha to 3.30 baje the.

Or main apne chhat par jaane laga to nazma ne kaha ki aap roj raat me chhat par hi sote hai. Maine kaha kabhi kabhi aa jata hoon. To wo bole kal phir aana raat ko chhat par to maine kaha thik hai lekin mere ek baat manenge, to nazma bole kya- maine kaha ki jab aapke chut itni mast hai to aapke gaand kaise hoge, main aapke gaand bhi marna chhata hoon to has kar bole-bas itni se baat to maine kaha ki kya saleem bhai ne kabhi aapke gaand mare hai to wo bole are wo tikh se chod to paate nahi hai to gaand kya marenge. Or ye kehte hue mujhe apne teraf kheech kar mere hoto par kiss kar liye.

Friday, January 16, 2009

Hamari Madhu Rajni Part-1

हमारी शादी तो हो गयी हम दोनो इतने थक गाये थे की हमने सोचा की ऐसे माहॉल में
पहली चुदाई में मज़ा नहीं आएगा. हम ने दो दिन आराम किया. तीसरे दिन कलपु अपने
मैके चली गयी बीन चुदवाये. उन की चाची और दुसरी औरतों को जब पता चला की कल्पना
कम्वारी ही वापस आई थी तब उन्हें मेरी मर्दानगी पर शक पड़ा. दाल में कुछ काला
है वरना दूल्हा ने दुल्हन को चोदा क्यूं नहीं ? कल्पना को लेकिन मुज़ पर पूरा
विश्वास था. शादी से पहले एक दो बार मेने उस की चुचियाँ दबा दी थी और मेरा लंड
हाथ में पकड़ा दिया था. उसे पता था की मेरा लंड खड़ा हो सकता था, चोद ने के
काबिल था. एक हपते बाद कल्पना वापस आने वाली थी. जिस दिन आए उसी दिन में उसे
चोद ने वाला था, सुहाग रात या ना सुहाग रात.

आख़िर वो दिन आ गया. शाम के पाँच बजे उस के भैया मनोज कार से उसे ले आए. कल्पना
के साथ उस की मौसी की लड़की, बारह साल की काजल भी थी.
मनोज बोले : कल्पना को कंपनी देने के लिए मौसी ने काजल भेजी है आप को पसंद ना
हो तो में वापस ले चलूं.
मुज़े पसंद तो नहीं था लेकिन कहा : ना, ना रहने भी दीजिए. में जब काम पर जऔ तब
कल्पना घर में अकेली ही होगी ना ?

पिताजी बिज़नेस के वास्ते बाहर गाँव चले गये थे. घूमने के बहाने नेहा को साथ ले
गये थे और छे सात दिन बाद लौटने वाले थे. में घर में अकेला था. चाई नाश्ता कर
के मनोज चले गये काजल की परवाह किए बिना तुरंत मेने कल्पना को बाहों मे भर
लिया.

उस ने मुज़े आलिनगान देने दिया लेकिन जैसे मेने किस करने के लिए उस का चहेरा
पकड़ा वो छटक कर भाग गयी और बोली : अभी नहीं, काजल को सो जाने दो. इतनी जल्द
बाज़ी करने से मज़ा मर जाएगा. रात होने में अब कितनी देर है ? चलो में कुछ खाना
बना लूं ?
में : खाना बनाने की ज़रूरत नहीं है आज हम होटेल में खाएँगे. लेकिन पहले में
तुज़े कुछ दिखा उन, आ जा.
कलपु : क्या दिखाते हो ? उस दिन हमारे घर आए थे और दिखाया था वो ?

उस का मतलब था मेरी शरारत से. शादी से पहले एक बार जब में उस के घर गया था तब
मेने उसे मेरा तना हुआ लंड दिखाया था और कहा था की उन के लिए ही मेने इस को
संभाल रक्खा था, किसी ओर लड़की को दिया नहीं था.

में उसे शयन खंड में ले गया. मेने ख़ुद कमरा सजाया था. ढेर सारे फूल ले आया था.
बड़े पलंग पर मोटी फोम की गद्दी डाल दी थी. रेशमी चादर बिछा दी थी. कमरे में
चारों ओर फूल ही फूल लगाए थे. बाथरूम में नाइट ड्रेस और टॉवेल्स रख दिए थे. रात
का खाना खा कर हम तीनो घर आए तब दस बज गये थे, में कलपु को चोद ने के लिए अधीर
हो रहा था. इतने में काजल बोली : दीदी, मुज़े नींद आ रही है अब ये काजल थी तो
बारह साल की लेकिन उस का बदन था सोलह साल की लड़की जैसा. कल्पना ने बताया की एक
साल से उस की माहवरी शुरू हो गयी थी. वाकई सीने पर बड़े श्री फल जैसे गोल स्तन
थे, चौड़े भारी नितंब थे और भारी भारी जांघें थी. कल्पना ने कहा की कंपनी देना
ये तो बहाना था, हक़ीकत में मौसी की इछा थी की काजल हम से कुछ सेक्स के बारे
में सीखे. मेने शरारत से कहा : एक सुहाग रात में दो दो कलियाँ चोद ने मिलेगी
मुज़े ? कल्पना : धत्त, कैसी बातें करतें हें ? वो तो बेचारी अभी बारह साल की
ही है में : बारह हो या तेरह, उस की चुत कैसी है ? लंड ले सके इतनी खिल गयी है
या नहीं ? जिस तरह उस के स्तन और नितंब दिखाई दे रहे हें इस से तो लगता है की
उस की चुत भी तैयार ही होगी. कल्पना : जनाब, पहले एक से तो निपट लीजिए. दुसरी
का बाद में सोचिएगा.

कल्पना ने काजल को दूसरे कमरे में बिस्तर दिया और वो सो गयी हम दोनो हमारे शयन
खंड में गये.

अंदर जाते ही कल्पना मेरे पाँव पड़ गयी मेने उसे उठा लिया और बाहों में भिंस
डाली. उस ने अपना चहेरा मेरे सीने से लगा दिया. मेरे लंड को तन जाने में देर ना
लगी मेने कहा : प्यारी, बाथरूम में नाइट ड्रेस रक्खा है वो पहन ले, जिस से हमे
आज जो करना है वो आसानी से कर सकें.

मेरा इशारा चुदाई से था, जान कर वो शरमाई और झट पट बाथरूम में चली गयी थोड़ी
देर बाद उस ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला और अंदर से बोली लाइट बंद कर
दीजिए ना.

में समज़ता था. नाइटि पहन कर उसे शरम आ रही थी. मेने कमरे की लाइट बंद कर दी तब
वो निकली और दौड़ कर पलंग पैर जा बैठी. मेने बाथरूम में जा कर सब कपड़े उतर दिए
स्नान किया और नाइट गवन पहन लिया. परफ़्यूँ लगा कर में बाहर आया. रोशनी के लिए
बाथरूम का दरवाज़ा खुला रक्खा.

कल्पना पलंग पैर बैठी थी, सिनेमा में जैसे दिखाते हें वैसे. में उस के सामने जा
बैठा. नज़र झुकाए होठों पैर मुस्कान लिए वो उंगलियाँ से नाइटि का कोना मसल रही
थी. मेने उस के हाथ पकड़े. हथेलियों पैर मेहन्दी लगाई हुई थी. मेने कहा : अरे
वाह, बढ़िया मेहन्दी लगाई है हाथ पर ही है या ओर जगह पैर भी ?

नज़र नीची रखते हुए वो धीरे से बोली : पाँव पर भी लगाई है

दोनो पाँव खुला कर मेने मेहन्दी देखी. वाकई डिज़ाइन अच्छी थी. मेने कहा : बस ?
ओर कहीं लगाई है

वो ज़्यादा शरमाई, चहेरा नीचा कर दिया और धीरे से हा बोली. मुज़े पता था उस ने
स्तन पैर भी लगाई थी. ठौडी नीचे उंगली रख कर मेने उस का चहेरा उठाया. शर्म से
उस ने आँखें मूँद ली. मेने गाल पैर हाथ फ़िरया और कहा : प्यारी, मेरे सामने तो
देख. मेरा चहेरा पसंद नहीं है क्या ?

उस ने मेरी दोनो कलाइयों पकड़ ली और मुँह घुमा कर हथेली चूम ली. आगे झुक कर
मेने गाल पर हलका सा चुंबन किया. उस के रोएँ खड़े होते में देख सका. मेने मेरा
गाल उस के गाल साथ लगा दिया. कंधों पर हाथ रख कर उसे खींच लिया. वो ऐसे बैठी थी
की उस के घुटनो सीने से लग गये थे. मेने धीरे से उस के पाँव लंबे किए. उस ने
अपने हाथों की चौकड़ी बना कर सीने से लगा दी जिस से स्तन ढक गये थे. मेने हाथ
हटाने का प्रयास किया लेकिन नाकामयाब रहा. बाहों मे ले कर मेने उसे आलिनगान
दिया. मेरा मुँह उस के गाल चूमाता रहा और होले होले उस के मुँह की ओर जाने लगा.
आख़िर मेरे होठों ने उस के होठ छू लिए ज़टके से तुरंत उस ने मुँह हटा लिया.
मेने फिर उस के मुँह चूमने का प्रयत्न इया लेकिन हर वक़्त वो अपना सिर घुमा कर
मुँह हटा देती रही. आख़िर मेने उस का सिर पकड़ लिया और बलपूर्वक मुँह से मुँह
चिपका दिया. वो उन्न्न उन्न करती रही लेकिन मेने उसे छोड़ा नहीं. जब मेने उस के
होठ पर ज़बान फिराई और मुँह में ले कर चूसा तब उस को मज़ा आने लगा और मुज़े किस
करने दिया. दो मिनिट की लंबी किस जब छुटी तब उस के होठ मेरे थुम्क से गिले हो
गये थे.

में आगे सोचूँ इस से पहले उस ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे मुँह से मुँह चिपका
दिया. किस करने में उस ने पहल की जान कर मेरी उत्तेजना बढ़ाने लगी अब की बार
मेने उस के होठ मेरे होठों बीच लिए और अच्छी तरह चुसे. मेरे लंड ने बग़ावत पुकर
ली. मेने कहा : ज़रा मुँह खोल.

जैसे उस ने मुँह खोला मेने मेरी जीभ उस के मुँह में डाल दी. जीभ से मेने उस का
मुँह टटोला. लंड जसी कड़ी बना कर अंदर बाहर कर मेने उस के मुँह को चोदा. वो
जलदी से गरम होने लगी उस ने अपने हाथ मेरे सिर पैर रख दिया. जब मेने जीभ निकाल
दी तब उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाली और मेरे मुँह को चोदा. हम दोनो की
साँसें तेज़ होती चली.

किस चालू ही थी और मेरे हाथ उस की कमर पैर उतर आए. अपनी ओर खींच कर मेने उसे
आलिनगान दिया. इस वक़्त उस के हाथ उपर उठे हुए थे, सीने पर नहीं थे. उस के स्तन
मेरे सीने से दब गये मुज़े कुछ शरारत सूझी, में झटके से अलग हुआ और बोला : अरे,
अरे मेरे सीने में ये क्या चुभ गया ? देखूं तो ?

इस बहाने मेने मेरे हाथ उस के सीने पैर घुमा लिए और स्तन टटोल लिए उस ने ब्रा
पहनी नहीं थी. नाइटि के आर पैर उस की कड़ी नीपल में ढूँढ सका. उंगली से नीपल
टटोल कर में बोला : यही है कुछ नोकदर जो मेरे सीने में चुभ गया था. क्या है वो
? मेरी कलाई पकड़ कर उस ने मेरे हाथ स्तन पर से हटाते हुए वो धीरे आवाज़ से
बोली : क्यूं सताते हो ? आप जानते तो हो. में : प्यारी, इतने अच्छे तेरे स्तन
कब तक छुपाओगी मुझ से ? देखने तो दे. मेने फिर से स्तन पैर हाथ रक्खा. इस वक़्त
उस ने विरोध किया नहीं. अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी मेने
नाइटि के हूक खोलने शुरू किए. नाइटि खुली और मेरी हथेली नंगे स्तन पैर जम गयी
उस ने लेकिन गर्दन पर की पकड़ जारी रक्खी जिस से में स्तन नज़रों से देख ना
सकूँ. चहेरा घुमा कर में फिर फ़्रेंच किस करने लगा, एक हाथ से स्तन सहालाने
लगा. ये करते हुए धीरे से मेने उसे धकेल कर पलंग पैर चित लेटा दिया. मेरा आधा
बदन उस पर छा गया , मेरे सीने से स्तन दब गाये मेरे कमर और कुले बिस्तर पैर
रहे. मेरा तना हुआ लंड बिस्तर के साथ दब गया.

हमारे मुँह किस में जुटे हुए थे. उन के हाथ मेरी पीठ पैर रेंगने लगे थे. मेरा
एक हाथ उस के गले में डाला हुआ था, दूसरा स्तन साथ खेल रहा था. मेरी उंगलियों
ने उस की छोटी सी नाज़ुक निपल पकड़ ली और चीपटी में लिए मसली. बड़े सन्तरे की
साइज़ के कल्पना के स्तन चिकाने और गोल थे. उत्तेजना से दोनो स्तन कठोर बन गये
थे और हथेली से दबे नहीं जाते थे. एरिओला के साथ निपल कड़ी हो कर उभर आई थी. एक
के बाद एक करके मेने दोनो स्तनों से खिलवाड़ की.

जैसे जैसे प्रेमोपचार चलते रहे वैसे वैसे कल्पना की एक्सात्मेंट बढ़ती चली और
उसे मज़ा आने लगा. उस की शर्म भी कम होने लगी अब वो छूट से मुझे किस करने लगी
मेरा सिर पकड़ कर उस ने ही स्तन पर धर दिया. मेरे मुँह ने निपल पकड़ ली. कड़ी
निपल को चूसने में जो मज़ा आया वो कहा नहीं जा सकता . जीभ की नोक से मेने निपल
टटोली तब कल्पना के मुँह से आह निकल पड़ी. मेने कहा : कलपु, तेरे स्तन बहुत
सुंदर है ये तेरी निपल कितनी नाज़ुक है ? मेरे चूसने से मज़ा आता है ना ?

उस ने सिर हिला कर हा कही और फिर मेरा सिर स्तन से दबा दिया. अब मेरा हाथ उस के
पेट पैर उतर आया. नैटि के बाक़ी हूक्स खोलने में देर ना लगी सपाट चिकना पेट
सहलाते हुए मेरा हाथ उस की भोस तरफ़ चला. उस ने पेंटी पहनी हुई थी. मेने पेंटी
उपर से ही भोस पैर हाथ फ़िराया. गुड़गूदी से उस की टाँगें उपर उठ गयी भोस ने
काफ़ी काम रस बहाया था जिस से पेंटी गीली हो गयी थी. उस ने मेरी कलाई फिर से
पकड़ ली लेकिन हाथ हटाया नहीं. मेने उसे कान में पूछा : कलपु, कैसा लगता है ?

जवाब में उस ने मेरे गाल पर ज़ोर से चुंबन किया. टाँगें सीधी कर के फिर मेने
भोस सहलाई. पेंटी पतले कपड़े की थी. भोस के बड़े होठ और बीच की दरार अच्छी तरह
मेहसूस होते थे. मेरे सहालाने से भोस ने ज़्यादा रस बहाया. भोस से मादक ख़ुश्बू
आ रही थी. उस की सुवास से ही मेरा लंड ज़्यादा अकड गया और ख़ुद काम रस बहाने
लगा.

में थोड़ी देर बैठ गया. नैटि खोल कर मेने उतार दी. उस ने आँखें पैर हाथ रख दिए
लेकिन मेरा नाइट ड्रेस खींच कर इशारा दिया की मुझे भी वो निकालना चाहिए. मेने
नाइट ड्रेस निकाल दिया. उंगलियों के बीच से वो झाँखने लगी मेरा टटार लंड देख उस
के होठों पैर मुसकान आ गय

मेने उस की नंगी जांघें सहालाना शुरू किया. भरी भरी उस की जांघें चिक्नी थी. जब
पाँव लंबे रखती थी तब जांघें एक दूजे से सटी रहती थी. सहलाते सहलाते मेने
जांघें उपर उठाई और फिर से भोस टटोली. उस ने भी एक हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया.
मेने पेंटी अंदर उंगली डालने का प्रयास किया लेकिन टाइट हो ने से उंगली जा ना
सकी. मेने फिर से पेट पर हाथ रक्खा और पेंटी के एलास्टिक से हाथ अंदर डाला.
मेरी उंगलियाँ उस के झांट साथ खेलने लगी में उतावला हो गया था, मेरा लंड फटा जा
रहा था. उस ने मेरे हाथ पकड़ रक्खे थे लेकिन ज़ोर लगा कर मेने पेंटी उतार दी.

कटे हुए झांट से ढकी कलपु की भोस देख में हेरान रह गया. मेरा लंड ज़ोर से
फंफ़नाने लगा और भर मार काम रस बहाने लगा. भोस के बड़े होठ मोटे थे और झांट से
ढके हुए थे. बीच की दरार तीन इंच सी लंबी थी और भोस के पानी से गीली हो गयी थी.
मेने जब भोस पर उंगली फिराई और क्लैटोरिस को छुआ तब कलपु कूद पड़ी और उस ने
जांघें उपर उठा ली. मेने जांघें फिर सीधा कर के सिर झुका कर भोस पर चुंबन किया.
तब मुज़े पता चला की कल्पना के बदन से जो ख़ुश्बू आ रही थी वो कोई इत्र की नहीं
थी लेकिन उस की भोस से आ रही थी. मुज़े भोस चाटने और चूसने के लिए दिल हो गया
लेकिन मेरे लंड ने माना नहीं.

में होले से कलपु के उपर चड़ गया. वो शरमाती रही थी और मुस्कुराती रही थी. मेने
उस की जांघें बीच मेरे घुटने डाले और मेरी जांघें चौड़ी की. मेरे साथ उस की
जांघें भी चौड़ी हुई. मेरा लंड उस की मोन्स से दब गया. मेने लंड भोस की दरार पर
रख दिया. थोड़ा सा कुला हिलाया तब लंड से दरार सहलाई गयी कल्पना के कुले भी
हिलने लगे. मुज़े लगा की चुत में लंड डालने की घड़ी आ गई थी इसी लिए मेने कलपु
से कान में पूछा : प्यारी, अब मुझ से रहा नही जाता. लंड लेना है ना ?

शरारत करने में वो कुछ कम नहीं थी. ज़ोर ज़ोर से सिर हिला कर उस ने मुस्कुराते
हुए ना कही. मुज़े वो इतनी प्यारी लगी की में उस पर टूट पड़ा. चुंबनों की बौछार
बरसा दी, स्तन मसल डाले, कमर के दो चार ज़टके लगा दिया और बोला : ना बोलेगी तो
में रेप करूँगा.

हसते हुए वो मुझ से छूटने के लिए छटपटायी. मेने उसे कमर में कुरेदी. वो ओर कूद
पड़ी. हमारे नंगे बदन एक दूजे के साथ टकराने लगे. मेरी ताजुबी की हद ना रही जब
खेल खेल में उस ने मेरा लंड पकड़ लिया. एका एक वो थम गयी लंड छोड़ दिया और बोली
: इतना बड़ा और मोटा ? मुज़े दर्द नहीं होगा ?

उस के नाज़ुक होठों चूम कर मेने कहा : दर्द तो होगा थोड़ा सा. लेकिन में
सावधानी से डालुंगा. तू ना बोलेगी तब रुक जाऔन्गा.

देर कर ने से कोई फ़ायदा नहीं था. इसी लिए मेने एक छोटा सा तकिया उस के नितंब
नीचे रख दिया. उस की भोस अब उपर उठ आई, मेरे लंड के लेवल में. उस ने ख़ुद
जांघें चौड़ी पकड़ रक्खी. मेने लंड पकड़ कर भोस की दरार में घिसा. हमारे काम रस
से लंड का मत्था गिला हो गया. मत्थे से क्लैटोरिस को रगडा. मुज़े डर लग रहा था
की में चोदे बिना ही झड़ जाने वाला हूँ टोपी उतार कर मेने लंड का मत्था ढक दिया
और चुत के मुँह पर टीका दिया.

Hamari Madhu Ranji Part-2

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