Saturday, May 23, 2009

स्टूडेंट लाइफ 1

मेरे ख़याल में स्टूडेंट लाइफ ही सबसे अच्छी लाइफ होती है.
अब तो स्टूडेंट लाइफ ख़तम हो गयी है और बस सिर्फ़ यादें ही यादें है.


हुमारे स्टूडेंट जिंदगी में कई सुनहरे अवसर आए थे और आज मैं आपको एक ऐसे ही सुनहरे अवसर की कहानी बताने जा रहा हूँ. उन दीनो मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उमर करीब 19 साल की थी.


मेरे 19 साल के दरमियाँ मैं कई बार सेक्स का आनंद ले चुका था,लेकिन मैं फिर भी मुझको चुदाई मे एक्सपर्ट नही कहा सकता था.
हुमारे परोस मे एक फॅमिली रहती थी.


उस फॅमिली में चार मेंबर थे, मा,बाप और उनके दो लड़किया.
दोनो लड़किया बहुत ही सुंदर थी और मुझको दोनो बहुत ही सेक्सी लगती थी.


उन दोनो लड़कियो में से एक की उमर करीब मेरे बराबर थी और वो मेरे क्लास में ही पढ़ती थी,और छोटी वाली की उमर करीब 18 थी और वो 11 क्लास में पढ़ती थी.

बड़ी बहन का नाम मीटा था और छ्होटी बहन का नाम नीता था.

दोनो बहने अपने मा की तरह सुंदर और सुंदर थी.

उन दीनो मैं पढ़ाई में थोड़ा ढीला था, और परोस की महिला बहुत ही सुंदर,
स्मार्ट और पढ़ी लिखी थी.


मैं अक्सर अपने पड़ोसी के घर जाकर अपनी पढ़ाई किया करता था.
मुझको परोस की आंटी बहुत प्यार से पढ़ाया करती थी और कभी भी मुझे समझाने में बुरा नही मनती थी.


जन्वरी का महीना आ चुक्का था और हुमारे एग्ज़ॅमिनेशन के लिए अब सिर्फ़ तीन
चार महीने बचे थे.

मैने अपने एग्ज़ॅमिनेशन के लिए तैयारी शुरू कर दी थी.

मेरे परोस की आंटी मेरे पढ़ाई के लगन से बहुत खुश थी और मुझको मन
लगा कर पढ़ाती थी.

मिटा मेरे क्लास मे ही पढ़ती थी और इसलिए आंटी हम दोनों को एक रोज़ करीब 3-4 घंटे साथ साथ पढ़ाती थी.

कभी नीता भी हुमारे साथ साथ पढ़ने बैठती थी.

आंटी बहुत ही अच्छी थी और अपनी बेटी के साथ साथ मुझको भी बहुत मन
लगा कर पढ़ाती थी और मुझे अपने घर का सदस्या मानती थी.


मेरे अंदर अपने आंटी या उनकी बेटी के तरफ कोई सेक्स की भावना नही थी.
मैं उनके घर का ही एक सदस्या था.उनका घर कोई बहुत बड़ा नही था.
सिर्फ़ एक कमरा,किचन और एक हॉल था.


अक्सर हुमलोग बेडरूम मे पलंग पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे.
आंटी हुमेशा मुझको अपने पास ही बैठाती थी और मैं हमेशा आंटी से सवाल किया करता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में कुछ ढीला था.


मिटा और नीता मुझको इस बात को लेकर अक्सर चिढ़ती थी लेकिन मैं जब भी कुछ
मदद माँगता तो दोनो बहने कभी ना नही करती थी.


जैसे की हुमलोग साथ साथ पलंग पर पैर मोड़ कर बैठकर एक दूसरे के बगल में पढ़ते थे, मैं जब भी कुछ पूछता तो आंटी झट किताब उठा कर अपने
गोद मे ले लेती थी और मुझे समझाती थी.


आंटी जब भी किताब अपनी गोद में लेती थी मेरा हाथ भी साथ साथ
आंटी के गोद मे चला जाता था और मेरे हाथ उनकी जाँघो के अंदर से चूत के
पास छू जाता था.


मुझे अपने हाथ में आंटी की चूत की गर्मी महसूस हो जाती थी.
आप विश्वास करो या ना करो, आंटी की चूत से बहुत गर्मी निकलती थी और वो गर्मी मुझे किसी रूम हीटर से ज़्यादा महसूस होती थी.


आंटी बहुत ही गोरी थी और हमेशा घर में वो स्लीव्ले कमीज़ और सलवार
बिना दुपट्टा के पहनती थी.


आंटी की चुचियो का साइज़ अच्छा था और बहुत गोल गोल थी,
लेकिन थोरा सा लटका हुआ था सायड अंकल कुछ ज़्यादा ही आंटी की चुचियो से खेलते थे.


पढ़ते वक़्त कभी कभी मेरा हाथ या कोहनी आंटी की चुचियो से छू जाती थी.
उनकी चुचिया बहुत ही मुलायम थी और मेरे हाथ या कोहनी च्छुने से आंटी
कभी भी बुरा नही मानती थी,बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती थी.


मैं भी इन बातों का ज़्यादा ध्यान नही देता था क्योंकि मेरे मन में तब कोई पाप नही था और मैं सोचता था शायद आंटी भी कुछ नही मानती.


कभी कभी आंटी पीछे से झुककर मैं क्या सवाल कर रहा हूँ देखती और उस
वक़्त उनकी चूंचिया मेरे कंधो पर चुभती थी.


आंटी इन सब हर्कतो को उनकी बेटियाँ भी देखती थी और मुस्कुरा मुस्कुरा कर हँसती थी.
मेरे मन में फिर भी कोई पाप नही था.

अक्सर मैं उनके घर पर रात को पढ़ते पढ़ते रुक जाया करता था.

उन दीनो हम सभी साथ साथ सो जाते थे और मैं अपने अंकल के पास सोता
था.

ऐसे ही एक वक़्त में जब अंकल कोई काम से बाहर गये हुए थे तो आंटी मेरे बगल मे लेट गयी.

रात तो सोते वक़्त उनका चेहरा मेरी तरफ था और मेरा उनकी तरफ.

मैने देखा की आंटी के गाउन के उपर के दोनो बॅटन खुले है और मुझे उनकी दोनो चुचियों के बीच की गहराई सॉफ सॉफ दिख रही थी.


आंटी उस समय काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उनके बीच उनकी गोरी गोरी चुचियाँ चमक रही थी.

मैं आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसो दूर थी.

मैं फिर जब अपनी आँखों को खोला तो देखा की आंटी मेरे और पास आ गयी
है और उनके गाउन का एक बटन और खोला हुआ है.

आंटी मेरे इतने पास आ गयी थी की मेरी गरम गरम साँस उनकी चुचि पर गिर रही थी.

ये सब देख कर मैं गरम हो गया और सोचा की क्यों ना कुछ मज़े लिया जाए.

मैने अपना सर तकिया से थोड़ा नीचे किया और अब मेरा मूह आंटी के बड़ी बड़ी
चुचियों के ठीक सामने था.


मेरी नाक आंटी की दोनो चुचियों के बीच वाली खाई के सामने था.
मैं अपनी जीव से आंटी की एक चुचि को हल्के से चाटा,लेकिन आंटी चुप चाप थी.

थोड़ी देर के बाद मुझे आंटी के बगल में सो रही उनकी एक लड़की को नींद में
करवट बदलते देखा और सर उठा कर देखा की वो लड़की आंटी से और सटकार
सो रही है.
मुझे कुछ अचंभा सा हुआ और मैं उल्टी तरफ मूह घुमा कर आंटी की तरफ पीठ करके सो गया.
मैं अपने पीछे फिर से किसी को करवट बदलने की आवाज़ सुना,लेकिन हिम्मत करके घूमकर देखा नही.

थोरी देर के बाद आंटी की नाक बजने लगी.
थोड़ी देर के बाद मैने अपना चेहरा फिर से आंटी के तरफ घुमाया और मुझको
बहुत करारा झटका लगा.

हुमने पहले जो आवाज़े सुनी थी वो आंटी की थी.
मेरे पीछे आंटी बिस्तर से उठकर बैठकर फिर से सो गयी थी.
आंटी ने अब अपनी ब्रा उतार दिया था और उनकी नाइटी के उपरवाले दो बटन खुले हुए थे.

मुझे उनके खुले बटनो के बीच से आंटी की गोल गोल चुचिया दिख रही थी और मुझे लगा की वो सुंदर सुंदर चुचि मुझे बुला रही है.
मुझे लगा की आंटी अब मुझे कुछ इशारा कर रही है और हो सकता है की आंटी को अब वही चाहिए जो मुझको चाहिए.

मैं धीरे से आंटी के नाइटी का तीसरा और चौथा बटन भी खोल दिया और उनकी नाइटी को उनकी चुचि पर से हटा दिया.

नाइटी हटते ही आंटी की दूधिया चुचिया एक दम से बाहर निकल पड़ी.
अब मैं उनकी चुचि को खूब तबीयत से देखा.

उनकी चुचियो के निपल इस समय बिल्कुल तने हुए थे.
निपल के चारो तरफ उनका आरियोल दिख रहा था,जो की बिल्कुल गुलाबी रंग का
था.

मैं धीरे से उनके पास सरक गया और अपनी जीव से आंटी के सिर्फ़ आरियोल के
चारो तरफ चाटने लगा,लेकिन उनकी चुचि को मूह में नही लिया.

मैं करीब पाँच मिनिट्स तक आंटी के चुचि के आरियोल को चॅटा और हाथ से उनकी दूसरी चुचि को सहलाना शुरू किया.
मैं आंटी की दूसरी चुचि के आरियोल के चारो तरफ भी अपना उंगली चला रहा था.

आंटी मेरे तरह और थोड़ा सा खिसक गयी और मेरे मूह के सामने अपना दूसरी चुचि कर दिया.

अब मैं आंटी की बाईं चुचि पर अपना जीव चला रहा था और दाईं चुचि को अपने हाथों से सहला रहा था.

चुचि चटाई करीब 15 मिनिट तक चलती रही और फिर उसके बाद मैं बारी बारी से आंटी की दोनो चुचिया अपने मूह में भरकर चूसना शुरू कर दिया.

अब मेरी आँखों से नीड रफू-चक्कर हो गयी थी और मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर बिल्कुल तन गया था और बाहर आने के लिए ज़ोर लगा रहा था.


मैं अपने हाथ और मूह से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अब मैं धीरे से अपना पैर आंटी के चादर के अंदर कर दिया और पैरों से आंटी की नाइटी को धीरे धीरे उठाने लगा.


जैसे जैसे मैं अपने पैरों से आंटी की नाइटी को उपर उठा रहा था,
मुझे अपने पैरों से आंटी का जिस्म छूता रहा.


धीरे धीरे मैं आंटी के घुटने तक उनकी नाइटी को उठा दिया.
अब मैं अपना हाथ नीचे करके आंटी के पैरों को छुआ और सहलाने लगा.

आंटी के पैर बहुत मुलायम और चिकना था.

घुटने से मैं अपने हाथों को धीरे धीरे उपर करने लगा.
आंटी के जंघे बहुत चिकना और मजबूत था.

जैसे जैसे मेरा हाथ उपेर जा रहा था, मुझे आंटी की चूत की गर्मी का
एहसास होने लगा,लेकिन मैं फिर भी उनकी चूत पर अपना हाथ नही ले गया.


मैने अपना हाथ और थोडा उपर ले गया और हाथों से आंटी की झांतों के
बाल का स्पर्श हो गया.
मैं समझ गया की अब मैं आंटी की चूत के बहुत ही करीब हूँ.

मैं धीरे से अपने हाथ को और थोड़ा उपर ले गया और मेरे हाथों से आंटी
की पुर झांतों भारि चूत का स्पर्स हुआ.


मैं आंटी की झांतों को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद मैं उनकी चूत की च्छेद को ढूंडना शुरू किया.
मुझे आंटी की चूत पर ढेर सारा चिप चिपा रस लगा मिला.

अब आंटी मेरे और पास खिसक आई और अपना एक पैर को मेरे पैरो के उपर कर
लिया जिससे की मैं उनकी चूत से ठीक तरफ से खेल साकु.


मैने धीरे से अपनी एक उंगली आंटी की चूत के च्छेद मे घुसेड दी और उस समय उनकी चूत इतनी गीली थी की मेरी उंगली बरी आसानी से चूत के अंदर घुस गयी.
मैं ढेरे ढेरे से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा.

मैं अब अपनी दूसरी उंगली आंटी की चूत के अंदर घुसेड दी और मुझे लगा की अभी भी आंटी की चूत मे जगह है और इसलिए मैने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में डाल दिया.


अब मैं अपनी तीनो उंगलियो से आंटी की चूत को चोदना चालू कर दिया.
थोड़ी देर के बाद मेरी उंगली और हाथ चूत के पानी से भीग गया.

मैं अपने दूसरे हाथ से आंटी की चुचियों से खेल रहा था और अपने मूह से उनको चूस रहा था.

करीब आधे घंटे तक मैं अपनी उंगलियों से आंटी की चूत को चोद्ता रहा और
फिर मैं थक गया और अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डालकर थोड़ा सा
सुसताने लगा लेकिन पता नही कब मेरी आँख लग गयी और मैं सो गया.


जब सुबह मेरी आँख खुली तो सुबह के 4 बजे थे और आंटी मेरे बगल में नही थी.
मेरे बगल में अब मिटा सो रही थी.

मैं आज पहली बार मिटा को गौर से देखा तो पाया की मिटा बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है.
मैं अपने हाथों को सूँघा और उसमे से आंटी की चूत की खुसबू आ रही थी.

तब मैं अपनी उंगलियों को चटा, वा आंटी की चूत का स्वाद भी मीठा है.

मैने अपनी नज़र घुमा कर नीता और आंटी को ढूनदा लेकिन वो दिखलाई नही दिए.
फिर मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं समझ गया की आंटी और नीता बाथरूम में है.


मैं मीता के पास खिसक गया और उसके होंठों पर हल्का चुम्मा दिया.
लेकिन मीता सो रही थी और इसलिए उसके तरफ से कोई जवाब नही मिला.


मैं फिर अपना हाथ धीरे से मिटा की जवान चुचियो पर रखा और हल्के से दबाया.

तभी मैने नीता को बाथरूम से निकलते देखा और जैल्दी से मीता के पास से हट गया..

मुझे आज नीता भी खूबसूरत लग रही थी. मैने नीता से आंटी के बारे में पूछा तो नीता ने बताया की आंटी दूध लेने गयी है.
मैं नीता से बाइ किया और अपने घर वापस चला गया.
मैं अपने कॉलेज से करीब 12 बजे दोपहर तक वापिस आ गया और सीधे आंटी के घर पर चला आया.

घर में मीता और नीता नही थी और उनकी नौकरानी घर की सफाई कर रही थी.
जैसे ही आंटी की नौकरानी मे मुझे देखा, वो बोली घर मे लरकियाँ नही है दोनो स्कूल गयी है और मालकिन अपने कमरे मे सो
रही है.

मैने कहा ठीक है और बेडरूम मे झाँक कर देखा.
बेडरूम मे आंटी अपने बिस्तेर पर गहरी नींद में सो रही थी और उनकी नाक हल्के हल्के बज रही थी.

आंटी भी कल मेरे साथ साथ नही सोई थी.
मैं भी कल रात नही सोया था और मुझे भी थकान लग रही थी और मैं सोच रहा था की अब मुझको अपने घर वापस जाना परेगा.

मैं जब घर जाने के लिए मुड़ा तो नौकरानी बोली की उसका काम ख़तम हो गया है लेकिन मालकिन सो रही है,अब मैं क्या करूँ?
क्या मैं मालकिन के जागने तक इंतेजर करूँ?

मैं तब नौकरानी से बोला, ठीक है तुम जाओ और मैं आंटी के जागने के बाद बता दूँगा.

नौकरानी चली गयी और मैने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.
नौकरानी मेरे कहने से चली गयी.

अब घर में सिर्फ़ मैं और आंटी थी और आंटी सो रही थी.
मैं आंटी के पास गया और उनके पास बैठ गया.

मैं आंटी को जगाना नही चाहता था.
मैने धीरे से आंटी के पैर के एडी को छुआ.

लेकिन आंटी बेख़बर सो रही थी.
मैं तब धीरे से आंटी के पैरों को थोरा सा फैला दिया और घुटने से मोड़ दिया जिससे की उनके पैर अब खड़े हो गये.

आंटी की नाइटी अब झूल रही थी.
मैने नाइटी को धीरे धीरे उपर करना शुरू कर दिया.

मैं बहुत घबरा रहा था लेकिन गरम भी हो गया था.
मैने नाइटी को थोड़ा सा उपर किया और मुझको आंटी की जंघे दिखलाई दी.
आंटी की जंघे बिल्कुल दूधिया रंग की थी और बहुत चिकनी थी.

मैने थोड़ा सा और नाइटी को उपर किया और फिर मुझे आंटी के बॉल सॉफ हुई चूत दिख गयी.

आंटी की चूत देख कर लगा की आंटी ने आज सुबह ही अपनी झांतो को सॉफ किया है.
चूत के चारो तरफ का रंग हल्का ब्राउन था लेकिन चूत के लिप्स का रंग बिल्कुल गुलाबी था.

आंटी इस समय कोई पॅंटी नही पहनी हुई थी. मैने अब नाइटी को और थोरा सा सरका दिया और नाइटी आंटी के पेट पर गिर गयी.

मैं अब आंटी के सफेद पेट हल्का ब्राउन कलर की चूत और चूत के गुलाबी पत्टीओं को साफ साफ देख रहा था.
मैं आंटी के पैरों को और थोड़ा सा फैला दिया और अपना मूह आंटी की चूत के और पास ले गया.

मैने चूत को उपर से सूँघा.
मुझे चूत की खुसबू बहुत अक्च्ची लग रही थी.

आंटी के चूत से भाप जैसी गर्मी निकल रही थी.
इस समय मेरा चेहरा चूत से करीब 1” की दूरी पर था.

मैं अपनी जीव निकालकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को हल्के से चटा.
आंटी तब भी सो रही थी.
मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और चूत की दरार को हल्के से चाता.

मैं चूत की दरार को करीब 5-6 बार चटा और एक-आ-एक आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया और अब मुझे आंटी की चूत चाटने और चूसने का रास्ता बिल्कुल सॉफ था.

मैं चूत की दरार पाँच मिनिट से भी ज़्यादा देर तक चटा और फिर आंटी की चूत से घड़ा घड़ा रस निकलने लगा.

चूत से निकलने वाला रस बहुत ही चिप चिपा था और कुछ नमकीन और कुछ मीठा था.
चूत के रस का स्वाद इतना अक्च्छा था की मैं आंटी की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया.

आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया.
मुझे अक्च्ची तरह मालूम चल गया की आंटी जाग गयी है और अब सोने का बहाना बना रही है,और मैं तब बिस्तेर पर से एक तकिया उठा करके आंटी के चूटर के नीचे डालना चाहा.

आंटी ने अपनी आँख बंद रखते हुए अपने चूटरों को उपर उठाया और मैने तकिया आंटी के चूटरो के नीचे रख दिया.

अब आंटी की चूत काफ़ी उपर उठ गयी थी और मुझे चूत चाटने में आसानी हो रही थी.

अब मैने अपने हाथों के बल लेटकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्टीओं को फैला दिया और चूत के जितना अंदर जीव जा सकता है उतना जीव डाल कर चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटना चालू किया.

आंटी अब भी सोने का बहाना बना कर अपनी आँखों को बंद रखी थी और मुझे यह अक्च्छा लगा.

मुझे पता नही की मैं कब तक आंटी की चूत को चटा लेकिन मैं चूत चाटने मे बोर नही हुआ और आंटी की चूत से हर वक़्त रस निकलता रहा और मैं वो रस चट चट कर पीता रहा और आंटी भी मज़े से अपनी कमर उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवाती रही.

मैने जब घड़ी देखी तो उस समय 2.30 बाज रहे थे और इसका मतलब था की मैं करीब एक घंटे से आंटी की चूत चट रहा था.
अब मेरा मुँह और जीव दर्द कर रही थी.

मैं अब उठकर बैठ गया और आंटी की चूत में अपनी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.
मैं आंटी के पैरों के पास बैठा था और उनके चेहरे को गौर से देख रहा था.
उनके चेरे पर हर पल भाव बदल रहे थे लेकिन आंटी अभी भी अपनी आँखों को बंद करके लेटी हुई थी.

थोरी देर के बाद मैने घड़ी देखी तो 2.45 बज रहे थे और मुझे मालूम था की अब मीता और नीता के आने का समय हो गया है.

इसलिए मैं आंटी के कमरे से उठकर बाहर वाले कमरे में जा कर
बैठ गया.

कमरे के बाहर जाने के पहले मैं आंटी के कपड़े ठीक तक कर
दिए.

मैं बाहरवाले कमरे मे बैठकर मीता और नीता के आने का इंतजार करने लगा कयूवकी घर पर कोई नही है और आंटी कमरे में सो रही है.

स्टूडेंट लाइफ 2

थोड़ी देर के बाद बाहर के दरवाजे पर घंटी बजी और मैं उठकर दरवाजा खोल दिया.

बाहर नीता खड़ी थी.नीता अंदर आ गयी,मैने नीता से कहा की
आंटी सो रही है और घर की नौकरानी अपना काम ख़तम करके अपने घर चली गयी है.

घर मे कोई नही था इसलिए मुझे रुकना पड़ा.
फिर मैने मीता के बारे में पूछा तो नीता बोली, क्या वो घर पर नही है?

उसे तो बहुत पहले घर पर आ जाना चाहिए था कयूवकी वो तो हाफ डे बाद ही घर चली आई थी.

मैने कुछ नही कहा और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गया.
मेरा मूह और जीव अब बहुत दर्द कर रहा था.

मैं घर जाकर आंटी का नाम लेकर मूठ मारा और ढेर सारा पानी अपने लंड से निकालकर मैं अपने बिस्तेर पर सो गया.

शाम के करीब 7 बजे मैं अपनी किताब कॉपी लेकर आंटी के घर गया..
वहाँ नीता अंड मीता पहले से अपनी अपनी पढ़ाई में जुटे हुए थे और मैं भी जाकर उनके पास बैठकर पढ़ने लगा.

नीता मुझको देख करके मुस्कुराइ और फिर से पढ़ने लगी.
मीता मेरे तरफ देख कर एक शरारत भारी मुस्कान दिया और मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी.

मुझे कुछ समझ में नही आया और मैं उसकी तरफ देख कर सिर्फ़ मुस्कुरा दिया और अपनी पढ़ाई करने लगा.

थोरी देर बाद आंटी कमरे चार गिलास जूस लेकर आई और हुमलोगो ने एक एक गिलास जूस पिया.

मैं बिना झीजक के आंटी की तरफ देख रहा था और सोच रहा था की
आंटी आज दोफर के कार्यक्रम के बाद मुझे देखेंगी या मुस्कुराएँगी.

लेकिन आंटी के चेहरे पर कोई शिकन ना था.
आंटी ऐसे बर्ताब कर रही थी की जैसे आज दोपहर में कुछ भी नही हुआ है.

मुझे आंटी का बर्ताब बहुत बुरा लगा और मुझे कुछ कुछ गुस्सा भी आया.

मेरा गुस्सा मेरे चेहरे से भी झलक रहा था लेकिन आज आंटी मेरे पास नही बैठी और जाकर नीता के बगल में बैठकर नीता को पढ़ाने लगी.

मुझे बहुत परेशानी हो रही थी और मैं सबका चेहरा देखने लगा.
आंटी और नीता का चेहरा बिल्कुल सपाट था लेकिन मीता के चेहरे से शरारत झलक रही थी और वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

थोरी देर के बाद आंटी कमरे से चली गयी. पढ़ाई करते वक़्त,मीता मुझसे सवाल कर रही थी की आज दिन भर मैने क्या क्या किया.

मैं कुछ सॉफ सॉफ जवाब नही दे पाया और उठकर कमरे से बाहर चला गया.
मीता ने मुझसे कहा की कोई बात नही की और फिर उसने अपने दिन के बारे में बताया.

मीता ने मुझसे कहा की आज उसकी तबीयत कुछ खराब थी तो वो 2.00 बजे दोफर को घर वापस आ गयी थी.

मीता की बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया और मुझे कुछ नही
सुजाई दे रहा था.

मीता फिर बोली की घर पर 2.30 बजे तक थी और फिर वो कुछ समान खरीदने वो मार्केट चली गयी थी.

मेरे दिमाग़ मे अब यह बात घूम रही थी की मीता को मालूम है की मैं घर पर दोपहर में था और मैने क्या क्या किया.

है भगवान, आंटी इस समय कमरे में नही है नही तो आंटी को पता
चल जाता की उनकी लड़की ने हुमारे दोफर के कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता है.

मीता हुम्से दिन भर की बातें कर रही थी और धीरे धीरे मुस्कुरा
रही थी,अपने होंठ दाँतों से दबा रही थी और अपनी चूत को स्कर्ट
के उपर से सहला रही थी.

मुझे कुछ सुजाई नही दे रहा था और मैं बार बार कोशिश कर रहा था की मीता अपनी बातों को बंद करे और हम अपनी अपनी पढ़ाई
करे,लेकिन मीता बोले जा रही थी.

नीता को हुमलोगो की बाते कुछ समझ में नही आ रही थी और वो चुप चाप अपनी पढ़ाई कर रही थी.

थोरी देर में आंटी कमरे में आई और तब मीता एक-आ-एक अपनी बातों की टॉपिक बदल दिया और हुमसे पढ़ाई की बाते करने लगी.

आंटी ने हुमको और मीता को डांटा और बोली बाते बंद करके अपनी अपनी पढ़ाई करो.
करीब 9.30 बजे को मैं अपनी कॉपी किताब उठा कर अपने घर के लिए चलने लगा.

आंटी ने तब मुझे बताया की आज रात को भी हुमारे घर पर आ जाना
तब और ज़्यादा पढ़ाई कर सकते हो और तुम्हारे अंकल भी घर पर नही है.

मैने सर हिला करके हा कहा और कनखेओं से मीता को देखने लगा. मीता दबी ज़बान से मुस्कुरा रही थी और मुझे देख रही थी.

मैं करीब 10.15 बजे रात फिर से अपने घर से आंटी के घर पर वापस आ गया और फिर से हम तीनो अपने अपने पढ़ाई करने लगे.

रात के 12 बजे हम सुबने अपनी अपनी पढ़ाई बंद करके सोने के बिस्तेर पर चले गये.

आज फिर से आंटी मेरे बगल मे लेट गयी और मीता और नीता आंटी के बगल में लेट गयी. मीता ठीक आंटी के बगल मे लेटी थी और नीता लेटी थी मीता के बगल में.

सोने के 15 मिनिट्स के बाद आंटी की नाक बजने लगे और मुझे लगा की आंटी मुझे बताना चाहती है की अब सो रही है या सोने का बहाना कर रही है.

मैं उठकर बैठ गया और अंधेरे में देखने लगा की मीता और नीता सो गयी या नही.

दोनो लड़किया सो रही थी लेकिन मुझे मीता के बारे में चिंता थी की वो भी सोने का नाटक कर रही है.

मैं बैठे बैठे ही अपना एक हाथ आंटी की नाइटी के अंदर डाल दिया और नाइटी को उपर उठाने लगा.

मैं धीरे धीरे आंटी की जांघों को सहलाने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे औपर ले जाने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपना कमर उठा रही थी और उनके मूह से तरह तरह की आवाज़ भी निकल भी रही थी.

मैं आंटी के पावं को थोड़ा सा और फैला दिया और उनकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी.

आंटी की चूत अब बहुत गीली हो गयी थी और उसमे से चिप चिपा रस निकल रहा था.
मैं उनकी चूत में अब दूसरी और फिर तीसरी उंगली भी डाल दी और अपना हाथ हिला हिला कर उनकी चूत को अपनी उंगलियो से चोदने लगा.

आंटी बहुत हिल रही थी और अपनी कमर ऐसे उठा रही थी की जैसे मैं सचमुच उनको चोद रहा हूँ.

मैं इस समय आंटी के पैरों के बीच बैठा था और उनकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.

एक-आ-एक कोई दूसरा पैर मेरे पैरों से टकराने लगा.

मैं घूमकर देखा तो वो पैर मीता का था..मीता अपनी जगह पर चित लेती थी और उसके हाथ उसके चुचियों पर था जिनको वो कसकर दबा रही थी.
मैं मीता को देखते ही समझ गया की मीता अभी सोई नही है और सिर्फ़ सोने का बहाना बना रही है और मेरे और आंटी के सारे कार्यक्रम देख रही है और मज़े ले रही है.

मैं आंटी की चूत को अपने दाहिने हाथ की उंगली से चोद रहा था और अब मैं अपनी बाईं हाथ को मीता के तरफ बढ़ाया और मीता के पैर को छुआ,लेकिन मीता सोती रही. मैने मीता की नाइटी को तोड़ा उपर उठाया और उसके जांघों को भी सहलाने लगा.

मुझे मेरी तकदीर पर विश्वास नही हो रहा था,मैं एक साथ आंटी और उनकी बेटी के सेक्सी शरीर के साथ खेल रहा हूँ और दोनो मा बेटी भी तैयार है.

मैने अपनी बैठने का पोज़िशन को थोड़ा बदला और मैं अब दोनो मा और बेटी के बीच बैठ गया.

अब मैने अपना एक हाथ आंटी के चूत पर से हटाकर आंटी की चुचियो पर ले गया.

जैसा की मैने सोचा था,आंटी अपनी नाइटी के नीचे कोई ब्रा नही पहनी थी.
मैने आंटी की नाइटी के सारे बटन को खोल दिया और बटन खुलते ही आंटी के दोनो गोल गोल सुनहरी सुंदर चुचिया मेरे सामने नंगी हो गयी.

मैने आंटी की दोनो चुचिया अपने हाथ से बारी बारी दबाने लगा
और उनके निपल को अपने उंगलियों में दबाकर मरोड़ने लगा.

मैं दूसरे हाथ से मीता की जाँघ को भी सहलाने लगा.
धीरे धीरे मैं अपना हाथ मीता की चूत के पास ले गया.

मीता अपनी नाइटी के नीचे पॅंटी पहन रखी थी. मैने धीरे से अपना हाथ मीता के पॅंटी के बगल से अंदर किया और मीता की चूत को छुआ.

मीता की चूत पर हल्के हल्के रेशमी बॉल थे और चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था.
मीता की चूत अपने मा की चूत से ज़्यादा गरम थी.

मैने अपने एक हाथ से मीता की पॅंटी उतरनी चाही और मेरा मतलब समझ कर मीता ने अपनी कमर उठा कर मुझे मदद करने लगी.

मैंने तब मीता की पॅंटी उतार दिया और अब दोनो मा और बेटी अपनी अपनी कमर के नीचे से नंगी थी और दोनो की चूत से रस निकल रहा था.

मैं सोच रहा था की मैं आंटी की चुचि और चूत पर अपना हाथ और मीता की चुचि और चूत पर लेकर उनसे खेलूँ लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था कयौकी तब आंटी मुझे और मीता का पकर सकती है.

इसलिए मैने आंटी की चुचि को दबाते हुए अपना मूह मीता के चेहरे के पास ले गया और मीता के गाल और होंठ पर चुम्मा देने लगा.

मीता भी मेरे चेहरे को अपने हाथों से पाकर कर चूमने लगी लेकिन अपनी मा की तरह उसकी आँखे अभी तक बंद थी.
अब मेरा एक हाथ आंटी की चूत पर था और दूसरा हाथ मीता की चूत पर था.

मैं मीता के होंठो को कई बार चूमा और अपना एक हाथ से मीता की चुचि को दबाने लगा.

मीता अपनी नाइटी के नीचे ब्रा पहने हुए थी और इसलिए मुझे मीता की चुचि को नंगा करते नही बन रहा था.
मैं कोशिश कर रहा था मेरा हाथ ब्रा के अंदर घुस जाए लेकिन ब्रा टाइट था और मेरा हाथ नही घुस रहा था.

मीता करवट लेकर मेरे तरफ अपनी पीठ कर दिया और मैने ब्रा की हुक
को खोल दिया.
अब मीता की चुचि नंगी हो गयी और अब मैं एक हाथ से आंटी की चुचि और दूसरे हाथ से मीत की चुचि को दबा रहा था.

मैं धीरे से मीता के और करीब खिसक गया और इशारा से मीता से कहा की मुझे अब उसके पास से हटना पड़ेगा और बाद में वो जब भी चाहेगी कर दूँगा,कयूवकी अब मुझे आंटी के पास जाना पड़ेगा.

इतना इशारा करके मैं धीरे से आंटी के नज़दीक चला आया और अपने दोनो हाथों से आंटी की दोनो चुचिया मसालने लगा.

अब मैने अपना सारा ध्यान आंटी पर देने लगा.
आंटी अब भी अपनी आँख बंद करके सोने का नाटक कर रही थी और उनको मेरे मीता के बीच चल रहे कार्यकलाप का कोई अंदाज़ा नही था.

मैने आंटी के नाइटी के सारे बटन खोल दिए और अब मेरे सामने करीब करीब बिल्कुल नंगी थी.
सिर्फ़ उनके पेट के उपर उनका नाइटी पड़ा हुआ था.

मैं अब धीरे से आंटी के नाइटी को उपर करना शुरू कर दिया और
आंटी थोड़ा झीजक कर अपने चूटर उठा दिया और मैं उनकी नाइटी को उनके सर से निकल कर बगल में रख दी.

अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल से नंगी थी और मैं उनके भरे भरे बदन से खेल रहा था.
आंटी की आँखे अब भी बंद थी और सोने का बहाना बना रही थी.

मैं आंटी के भरे भरे सुंदर और सेक्सी जिस्म को उपर से नीचे तक चाटना शुरू किया और एक हाथ से मीता को हल्का धक्का दिया और इशारा किया की वो मेरे और उसकी मा के क्रियाकलाप को देखे.

मीता ने जैसे ही अपनी आँख को खोला तो वो सन्न रह गयी क्योंकि उसकी मा बिकुल नंगी थी.
मीता को पता था मैं और आंटी क्या क्या गुल खिलाते है लेकिन उसको इतना सबका अंदाज़ा नही था.
मीता ने अब मेरे तरफ देखा और मुस्कुरा दी और फिर से अपना सर तकिये पर रख कर सो गयी,लेकिन अपनी आँख को खोले रखी.

अब मैं आंटी की चूत को चट रहा था और उनकी चूत से रस लगातार निकल रहा था.

उनकी चूत से इतना रस निकल रहा था की उनकी जंघे भीग रही थी.मैं बहुत मन लगा कर आंटी की चूत को चट रहा था और आंटी अपने पैरों को फैला कर और अपनी चूटर को उठा उठा कर अपनी चूत मुझसे चटवा रही थी.

आंटी पहली बार अपने हाथों से मेरा सर पाकर कर मेरा मूह अपनी चूत पर दबा रही थी और अपनी कमर उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी...
आंटी बहुत हिल रही थी और बार बार अपनी कमर उचका रही थी.
मैं समझ गया की आंटी अब अपनी चूत का पानी निकालने वाली है.
मैं बहुत चाब से आंटी की चूत को चट रहा था और चूस रहा था और थोड़ी देर के बाद आंटी झार गयी.

मैं आंटी की चूत से निकला हुआ सारा का सारा पानी चट चट कर पी लिया और फिर अपना ब्रीफ धीरे से नीचे किया.
ब्रेइफ नीचे करते ही मेरा लंड उछाल कर बाहर आ गया और अब वो आंटी की चूत मे घुस कर आंटी की चुदाई करना चाह रहा था.

मैं थोड़ा आंटी के उपर झुक गया और अपना लॉडा आंटी की चूत के
बराबर ले आया.
फिर मैं धीरे से अपना लॉडा आंटी की चूत के च्छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड आंटी की चूत में समा गया.

मैं फिर से अपनी कमर हल्की सी उठाकर और अपना लंड थोड़ा सा निकल कर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.
अब मेरा लंड पूरा का पूरा आंटी की चूत में घुसा हुआ था और मेरा और आंटी की झांते एक दूसरे में मिल गयी थी.

आंटी की चूत अंदर से बहुत गरम थी और फरफारा रही थी. आंटी अपनी चूत से लंड को चूस रही थी.
मैं अब आंटी को धीरे धीरे धक्का मारकर चोदना शुरू किया.

जैसे मैं आंटी की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, आंटी की चूत से पच पच की आवाज़ निकलना शुरू हो गया.
आंटी मुझको अपने आपसे कसकर चिपका रखा था और अपनी आँखे अभी तक बंद कर रखी थी, लेकिन अपने अंगो से मुझे चुदाई मे हेल्प कर रही थी.

मैं अपने आपको धीरे से आंटी के शिकंजे से छुड़ाया और फिर से उनको चोदना चालू किया.
जैसे ही मैने आंटी की चुदाई शुरू किया उनकी चूत फिर से आवाज़ करने लग गयी.
मैं अपना सर घूमकर मीता को देखा,वो बारे गौर से हुमारी चुदाई देख रही थी और हंस रही थी.

मैं अब धीरे धीरे अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ाना चालू की और
आंटी भी अपनी चूटर उठा उठाकर मेरे हर धक्को का जवाब दे रही थी.
मैं आंटी को करीब 15 मिनिट तक जोरदार धक्को के साथ चोद्ता रहा और बीच बीच में उनकी चुचियो को मसलता रहा और चूस्ता रहा.

ठोदि देर बाद में मैं झार गया और अपने लंड के फ़ौवारे से आंटी की चूत को भर दिया.
आंटी भी मेरे झरने के साथ साथ झार गयी और मुझे अपने आपसे कस कर चिपका लिया.

आंटी इतना कस कर मुझे जाकर लिया था की मेरे पीठ पर उनके नाख़ून का निशान बन गये थे.
मैं झरने के बाद आंटी के उपर ही लेट गया और हफने लगा.
और थोरी देर के आंटी को फिर से चूमने लगा.
आंटी भी मेरे चुंबनो का जवाब चुंबन से दे रही थी.

अब पहली बार आंटी ने अपनी आँखे खोल कर मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
आंटी की आँखों में चुदाई की तृप्टी का सच झलक रहा था.
आंटी मेरे चुदाई से बहुत ही तृप्त थी.

आंटी ने मुझे फिर से चूमा और अपना सर घुमा कर अपनी लड़कियों को देखा.
दोनो लड़कियाँ गहरी नींद में सो रही थी..
अपनी लड़कियों को सोते देखकर आंटी फिर से मुस्कुरा दी और मुझे चूमने लगी.

आंटी अब अपनी जगह पर उठकर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मूह में भर कर चूसने लगी और चाटने लगी.
चट चट कर आंटी ने मेरा लंड को बिल्कुल से सॉफ कर दिया.
मीता कनखियों से अपनी मा को मेरे लंड चुस्ती देख रही थी.

मैने अपना हाथ मीता के तरफ बढ़ाया और उसकी चुचियों को मसलना चालू कर दिया.
मीता मेरे हाथ को अपने हाथ से पाकारकर अपनी नाइटी के अंदर कर
दिया.
मैं समझ गया की मीता अपनी चूत पर मेरे हाथ को चाहती है. मैने मीता की चूत को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया.

मीता की चूत बिल्कुल गीली थी और उसकी जंघे भी भीग गयी थी.
मैं मीता की चूत को भीगा देखकर समझ गया की मीता अपनी मा और मेरे चुदाई देख देख कर गरमा गयी है और अब वो भी चुदवाना चाहती है.

आंटी की लंड चुसाइ से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था और थोड़ी देर में वो फिर अकड़कर खरा हो गया.
अब आंटी अपने जगह से उठ गयी और मुझे भी अपने साथ दूसरे कमरे में चलने को कहा.

मैं भी उठकर आंटी के पीछे पीछे दूसरे कमरे में गया.
दूसरे कमरे में जाकर आंटी और मैं एक सोफे पर बैठ गये.
सोफे पर बैठने के बाद आंटी ने मुझे अपनी बाहों में भर कर चूमना
शुरू कर दिया.

मैं भी आंटी को चूमने लगा.
आंटी मेरे मूह में अपनी जीव घुसेड दी और मैं उसको बारे प्यार से चूसने लगा.
हुमलोगों की यह चुम्मा चुम्मि कुछ देर तक चलता रहा.
फिर आंटी अपना हाथ से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगी और फिर उठ उसको बारे गौर से देखने लगी.

थोरी देर तक मेरे लंड को देखने के बाद आंटी मुझसे बोली की तुम्हारा लंड बहुत ही प्यारा है और यह लंड तुम्हारे उमर के हिसाब से ज़्यादा बड़ा है.
फिर आंटी मुझसे बोली की अब मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में डॉगी स्टाइल में लेना चाहती हूँ.

तुम अब मेरी चूत में पीछे से लंड डालकर दम लगाकर चोदो.
इतना कह कर आंटी सोफे पर झुक गयी और उनकी चूत मेरे लिए पीछे से झकने लगी.
मैं उठ कर आंटी के पीछे चला गया और मेरे लंड को अपने हाथों से पाकर कर उनकी चूत पर लगा दिया.

जैसे ही मेरा लंड आंटी की चूत के च्छेद पर लगा आंटी ने अपनी कमर
हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत में भर लिया.
मैने भी तब आंटी की कमर पाकर कर आंटी को पीछे से चोदने लगा.

चोदते चोद्ते मैंने अपना हाथ और बढ़ाकर आंटी की चुचित्यों को भी मसलना शुरू कर दिया.
आंटी मारे खुशी के बहुत ज़ोर ज़ोर बार्बरा रही थी और अपनी कमर चला रही थी.
मैं आंटी को अबकी बार करीब 25 मिनूट तक चोदा.

चोदते वक़्त मैं अपने धक्के की रफ्तेर बार बार बदल रहा था और कभी कभी अपना लंड आंटी की चूत में जर तक घुसेड कर अपनी कमर घुमा घुमा कर उनकी चूत को चोद रहा था...थोड़ी देर मैं ही आंटी झाड़ गयी मैं भी झदाने के कगार पे था मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और अपना सारा वीरया उनकी चूत मैं डाल दिया

आंटी के चेहरे पर संत्ुस्ती भाव थे वैसे भी उनकी चूत ने आज दो बार मलाई खाई थी आंटी वहीं सो गयी मैं दुबारा उपर जाकर मीता की बगल मैं लेट गया मैने मीता नाइटी को उपर उठा दिया ओर मीता की ठोस चुचियों को अपने दोनो हाथों से मसलने लगा मीता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी उसकी चूत लॅंड माँग रही थी लॅंड की याद मैं आँसू बहा रही थी

मैने मीता की चूत मैं अपनी एक उंगली घुसा दी मीता उछल पड़ी क्योंकि मीता की चूत बहुत टाइट थी अब मैने एक हाथ से मीता की ठोस चुचियों को दबाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा मीता सिसकारी ले रही थी उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था मैने मीता के चूटरों के नीचे तकिया लगा दिया ओर अपना लंड चूत के मुँह पर लगा दिया चूत ने अपने होंठ फैला दिए जैसे वह लंड का चुंबन पाने के लिए काबसे बेकरार थी मैने अपने लॅंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और थोड़ा सा थूक चूत पर भी लगा दिया
मैने अपने लंड का दबाब मीता की चूत पर डाल दिया लंड चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा मीता दर्द की वजह से कराहने लगी मुझे डर था कहीं नीता ना जाग जाय मैने मीता के होंठो अपने होंठो मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया और एक जोरदार धक्का मारा मेरा लंड मीता की चूत मैं गहराई घुस चुका था मीता छटपटाने लगी मैं थोड़ी देर शांत हो गया और उसकी चुचियो को सहलाने लगा कुछ देर मैं ही मीता का दर्द कम हो गया अब मैने दे दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिया मीता की चुदाई मैं ऐसा मज़ा आया मैं आज भी उस चुदाई को याद करता हूँ तो मन रोमांच से भर जाता है मीता आह ओह सिसकारियाँ भरने लगी उस रात हमने दो बार और चुदाई की इस तरह से मैने मा बेटियों की चुदाई की